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मौत एक ऐसी हकीकत है जिससे किसी कोई भी इंकार नहीं कर सकता है

मौत एक ऐसी हकीकत है जिससे किसी कोई भी इंकार नहीं कर सकता है लेकिन इस के बावजूद इंसान अपनी मौत से ग़ाफ़िल रहता है जबकि चाहिए तो ये कि इंसान इस दुनिया में वो काम करे जो उसको मरने के बाद भी काम आएं


1-तलक़ीन, मरने वाले के लिए दो तलक़ीन पढ़ी जाती हैं, एक जिस समय मरने वाले को क़ब्र में उतारा जाता है दूसरे जिस समय लोग उसको दफ़्न कर के वापस चले जाते हैं, हदीसों में है जिस समय दफ़्न के बाद तलक़ीन पढ़ी जाती है फ़रिश्ते यह कह कर वापस चले जाते हैं कि इसको सवालों के जवाब बता दिए गए हैं, तलक़ीन पढ़ने का फ़ायदा मरने वाले के लिए बहुत ज़्यादा है, जैसाकि हम लोग देखते हैं जब कोई मर जाता है तो उस समय मरने वाले के लिए रोने पर ही ज़्यादा ध्यान होता है, यह और बात है कि रोना भी ज़रूरी है ताकि इंसान का दिल हलका हो सके लेकिन उस समय जिस चीज़ पर सब से ज़यादा ध्यान देना चाहिए वह तलक़ीन और उस सय मरने वाले के लिए क़ुर्आन की तिलावत है।
2-दूसरा सबसे अहम काम जिसका मरने वाले के सबसे ज़्यादा काम आएगा वह उसके क़र्ज़ को अदा करना है, चाहे क़र्ज़ माली शक्ल में हो या इबादत की शक्ल में, जैसे हज माली क़र्ज़ भी है और इबादी भी, क्योंकि क़र्ज़ चाहे जैसा भी हो मरने वाले को बहुत तकलीफ़ पहुंचाता है।
3-मरने वाले की तरफ़ से मुस्तहब काम अंजाम देना, जैसे मरने वाले के लिए नमाज़े वहशत पढ़ना, नमाज़े वहशत उस पहली रात जिसमें मरने वाले को क़ब्र में दफ़्न किया जाता है पढ़ी जाती है, उसी रात मुन्किर नकीर भी सवाल जवाब के लिए आते हैं और मरने वाले की रूह उस रात बहुत बेचैन रहती है।
4-मरने वाले के लिए चौथी जो चीज़ सबसे ज़्यादा काम आएगी वह वालेदैन का राज़ी होना है, हदीसों में मौजूद है कि वालेदैन की नाराज़गी का कारण बनने वाले काम करना हराम है।
पैग़म्बर स.अ. से पूछा गया कि वालेदैन के मरने के बाद उनको कैसे सवाब पहुंचाया जाए? आपने फ़रमाया उनकी मग़फ़ेरत के लिए दुआ करो, मरने वाले की वसीयत पर अमल करो, उसके रिश्तेदारों के साथ नेक बर्ताव करो और अगर उनके दोस्त ज़िंदा हैं उनका हाल चाल पूछते रहो।
5-पांचवा सबसे अहम तरीक़ा जिस से मरने वाले को फ़ायदा पहुंचता है वह उनकी क़ब्रों पर जाना है, विशेष कर जब मरने वाला अभी जल्दी ही इस दुनिया से गया हो, और इसमें भी ख़ास कर वह पहली रात जिसमें मरने वाले को दफ़्न किया गया हो, मरने वाला क़ब्र में जाने के बाद बहुत अकेला होता है और इसी अकेलेपन और तंहाई में जब वह किसी जानने वाले को क़ब्र पर मौजूद देखता है तो उसे बहुत सुकून मिलता है।

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