Ticker

10/recent/ticker-posts

प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की आय, 17 अरब डाॅलर तक पहुंच चुकी हैः रूहानी


  • राष्ट्रपति रूहानी ने ईरान के ख़िलाफ़ दुश्मनों के व्यापक आर्थिक युद्ध की पराजय की तरफ़ इशारा करते हुए कहा है प्रतिबंधों के बावजूद इस समय ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की आय, 17 अरब डाॅलर तक पहुंच चुकी है।डाॅक्टर हसन रूहानी ने सोमवार को तेहरान में देश के पेट्रोकेमिकल उद्योग की अहम हस्तियों से मुलाक़ात में कहा कि अगले दो साल में ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की पैदावार दस करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले क़दम में ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की आय वर्ष 2021 तक 25 अरब डाॅलर तक और तीसरे क़दम के अंत तक 37 अरब डाॅलर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने इसी तरह पेट्रोकेमिकल उद्योग की उपलब्धियों की प्रदर्शनी के निरीक्षण के अवसर पर कहा कि इस प्रदर्शनी में जो आंकड़े पेश किए गए हैं उनसे पता चलता है कि यह उद्योग, तीसरे क़दम की ओर छलांग लगाने के लिए तैयार हो रहा है और वर्ष 2021 के बाद ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की पैदावार तेरह करोड़ टन तक पहुंच जाएगी।

राष्ट्रपति डाॅक्टर हसन रूहानी ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि दुनिया के लगभग सभी बड़े राजनेता इस बात को स्वीकार करते हैं कि ईरान से टकराव में अमरीका को पराजय हुई है, कहा कि ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग की स्थिति सामान्य नहीं थी और उसने कड़े आर्थिक दबावों में ये सफलताएं हासिल की हैं। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ प्रतिबंध और दबाव एक दिन समाप्त हो कर रहेंगे, कहा कि दुश्मन समझ चुके हैं कि अधिकतम दबाव से ईरानी जनता को झुकाया नहीं जा सकता।

अमरीकी प्रतिबंधों को रूस और जर्मनी ने दिखाया आईना









जर्मन सरकार ने अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद नोर्ड स्ट्रीम टू गैस पाइप लाइन योजना को पूरा करने का संकल्प दोहराया है।

जर्मन चांस्लर एंगला मर्केल के निकटवर्ती समझे जाने वाले सांसद पीटर बायर ने कहा कि अमरीकी प्रतिबंधों से रूस – यूरोप गैस पाइप लाइन योजना में कुद महीने का विलंब अवश्य होगा किन्तु यह योजना रूकेगी नहीं,उन्होंने कहा कि यह योजना 2 अप्रैल 2020 में पूरी और इसी वर्ष के मध्य में गैस सप्लाई भी शुरु हो जाएगी।उक्त गैस पाइप लाइन योजना के पूरा होने से जर्मनी के लिए रूसी गैस की सप्लाई दोगुनी हो जाएगी,ज्ञात रहे कि ट्रम्प प्रशासन ने उक्त गैस पाइप लाइन योजना पर काम शुरु करने वाली कंपनियों की संपत्तियां सील और इसके कर्मियों पर अमरीका प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है,दूसरी ओर रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने नोर्ड स्ट्रीम टू गैस योजना पर लगे अमरीकी प्रतिबंधों को निष्क्रिय करने के लिए आवश्यक कार्यवाहियां किए जाने के निर्देश दिए हैं।




उक्त गैस पाइप लाइन योजना के पूरा होने से जर्मनी के लिए रूसी गैस की सप्लाई दोगुनी हो जाएगी,ज्ञात रहे कि ट्रम्प प्रशासन ने उक्त गैस पाइप लाइन योजना पर काम शुरु करने वाली कंपनियों की संपत्तियां सील और इसके कर्मियों पर अमरीका प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है,दूसरी ओर रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने नोर्ड स्ट्रीम टू गैस योजना पर लगे अमरीकी प्रतिबंधों को निष्क्रिय करने के लिए आवश्यक कार्यवाहियां किए जाने के निर्देश दिए हैं।

भारत के साथ संबन्ध अधिक विस्तृत किये जाएंः राष्ट्रपति रूहानी



  1. भारत के साथ संबन्ध अधिक विस्तृत किये जाएंः राष्ट्रपति रूहानी

भारत के साथ संबन्ध अधिक विस्तृत किये जाएंः राष्ट्रपति रूहानी

डा. हसन रूहानी ने तेहरान और नई दिल्ली के संबन्धों को अधिक से अधिक विस्तृत करने पर बल दिया है।


ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने तेहरान में भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर के साथ भेंट में कहा कि निश्चित रूप में ईरान और भारत के संकल्प से भविष्य में परस्पर संबन्ध और साझेदारी अधिक विस्तृत होगी।  उन्होंने कहा कि ईरान और भारत दोनों के लिए  क्षेत्रीय सुरक्षा की आपूर्ति विशेष महत्व रखती है।  हसन रूहानी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, क्षेत्र विशेषकर फ़ार्स की खाड़ी और ओमान सागर में तनाव से दूरी व स्थाई शांति का पक्षधर है।  उन्होंने अन्य देशों के साथ ईरान और भारत की सहकारिता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अमरीका को अंततः ईरान के विरुद्ध अत्यधिक दबाव की नीति को त्यागना ही पड़ेगा।
इस भेंटवार्ता में भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने सरकारी और निजी क्षेत्रों में सहयोग में विस्तार पर बल दिया।  उन्होंने कहा कि ईरान और भारत के बीच प्राचीनकाल से मैत्रीपूर्ण संबन्ध रहे हैं।  उनका कहना था कि चाबहार के बारे में भारत और ईरान की सहकारिता तेज़ी से बढ़ रही है।  उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की परियोजनाओ को पूरा करने में तेज़ी लाई जाए

व्यापक आंदोलन की आग को ठंडा करने के लिए मोदी ने लगाया 'विविधता में एकता, भारत की विशेषता' का नारा, लेकिन क्या यह आरएसएस की विचार

व्यापक आंदोलन की आग को ठंडा करने के लिए मोदी ने लगाया 'विविधता में एकता, भारत की विशेषता' का नारा, लेकिन क्या यह आरएसएस की विचार

व्यापक आंदोलन की आग को ठंडा करने के लिए मोदी ने लगाया 'विविधता में एकता, भारत की विशेषता' का नारा, लेकिन क्या यह आरएसएस की विचार
भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और नेश्नल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (NRC) के ख़िलाफ़ देश व्यापी आंदोलन शुरू होने के बाद, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को यह आश्वस्त करने की कोशिश की है कि यह क़ानून मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि विपक्षी पार्टियां ऐसा भ्रम फैला रही हैं।
धर्म के आधार पर नागरिकता क़ानून के पारित होने के बाद, 12 दिसम्बर को असम और मेघालय में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हुए, जो अब पूरे देश में फैल चुके हैं और यह विरोध एक व्यापक आंदोलन का रूप ले चुका है।
रविवार को मोदी ने नई दिल्ली में बीजेपी की एक रैली को संबोधित करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार कोई भी फ़ैसला किसी तरह के भेदभाव के आधार पर नहीं करती है और जो लोग यह कह रहे हैं कि नया नागरिकता क़ानून भेदभाव करता है तो मैं उन्हें चुनौती देता हूं, वह यह साबित करें।
बीजेपी की यह रैली फ़रवरी में दिल्ली में होने वाले विधान सभा चुनावों के प्रचार की शुरूआत के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन देश की सड़कों पर विरोध की फैली हुई आग को देखते हुए मोदी जल्दी ही इस क़ानून के बचाव में उतर आए।
नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के दौरान, अब तक 25 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों की संख्या में लोग घायल हैं।
मोदी ने मुसलमानों को भरोसा दिलाने की कोशिश करते हुए दावा कियाः यह क़ानून 1.3 अरब भारतीयों में से किसी को प्रभावित नहीं करता है। मैं भारत के मुसलमानों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस क़ानून का उनकी स्थिति पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।
उन्होंने रामलीला मैदान में आयोजित रैली में अपने संबोधन की शुरुआत ही 'विविधता में एकता, भारत की विशेषता' के नारे लगवाकर की।
इससे साफ़ ज़ाहिर है कि मोदी सरकार आर्थिक मंदी का सामना कर रहे देश में जारी आंदोलन के कारण पूरी तरह से बैकफ़ुट पर आ गई है। इसलिए कि मोदी आरएसएस की जिस विचारधारा को फ़ॉलो करते हैं, वह विविधता में एकता पर विश्वास नहीं रखती है, बल्कि इसके विपरीत भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने पर तुली हुई है।
मोदी ने मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर देश भर में भ्रम और डर फैलाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा वे मुझे सत्ता से हटाने के लिए हर चाल चल रहे हैं।
इस बीच, रविवार को भी नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत देश भर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रहा।
हालांकि प्रदर्शनों को रोकने के लिए सरकार ने कई राज्यों में धारा 144 लगा दी है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं, जगह जगह पुलिस प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग कर रही है,  लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग अपने घरों से बाहर निकलकर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शनों में हर धर्म के मानने वाले बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं, लेकिन मुसलमानों की संख्या सबसे ज़्यादा है।

Sc st obc हिन्दू नहीं है?





संविधान के अनुच्छेद 330-342 से प्रमाणित है की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग “हिन्दू” नहीं हैं। यदि कोई अधिक ज्ञानी है तो प्रमाणित करके बताये कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग हिन्दू हैं। हिन्दू होने के कारण भारत में किसी को “आरक्षण” नहीं मिला है। सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों से, जो हिन्दू धर्म का कॉलम भरवाया जाता है, वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अधीन अवैधानिक है। जिस पर माननीय न्यायालय में वाद लाया जा सकता है।
कुछ लोगों का मत है कि पहले जातिगत आरक्षण खत्म हो, तब जातिवाद अपने आप समाप्त हो जायेगा। मैं ऐसे अज्ञानी लोगों को बताना चाहूँगा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण किसी धर्म की विशेष जाति का भाग होने पर नहीं मिला है। अनु.जाति /जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोग भारतीय मूलनिवासी हैं और उन पर “विदेशी आर्य संस्कृति” अर्थात “वैदिक संस्कृति” अर्थात “सनातन संस्कृति” अर्थात “ब्राह्मण धर्म” अर्थात “हिन्दू संस्कृति” ने इतने कहर जुल्म और अत्याचार ढाये, जिनको जानकर मन में अथाह दर्द भरी बदले की चिंगारी उठती है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। कोई धर्म अपने धर्म के लोगों पर अत्याचार जुल्म और कहर ढा सकता है, ऐसे लोग समान धर्म के अंग कैसे हो सकते हैं?
जो हिन्दू शास्त्र अनु.जाति/जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने धर्मग्रंथों द्वारा लिखित में अपमानित करते हों, ऐसे लोग (अपमान करने वाले और अपमानित होने वाले) समान धर्म का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।
हमें आरक्षण इसलिए नहीं मिला है कि हम हिन्दू वर्ण-व्यवस्था और जाति-व्यवस्था के अंग हैं। ये जातियाँ ब्राह्मणों ने भारतीय मूलवासियों को गुलाम बनाने के लिये जबरदस्ती थोपी हैं ब्राह्मणों ने बहुजन लोगों पर जाति एवं वर्ण के आधार पर जो अत्याचार किये, उन अत्याचारों का आंकलन संविधान निर्माण कमेटी ने किया। उस आकलन के आधार पर भारतीय मूलवासियों को आरक्षण मिला है, न कि हिंदुओं की जातिव्यवस्था का अंग होने पर।

अगर आयतुल्ल्हा सिस्तानी ना होते तो इराक की आज़ादी ना मुमकिन थी. हशदुश शअबी

अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाबी आतंकवाद और आतंकी संगठन आईएसआईएस पर जीत की दूसरी वर्षगांठ मना रहे इराक की शक्तिशाली स्वंयसेवी सेना और आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में प्रभावी भूमिका निभाने वाली हश्दुश शअबी के उपप्रमुख ने कहा कि अगर मरजईयत न होती तो देश शत्रुओं के हाथों में पड़ जाता।

हश्दुश शअबी के उप प्रमुख अबू महदी मोहंदिस ने कहा कि अगर मरजईयत न होती तो देश पर बेगानों का क़ब्ज़ा होता, अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

अबू महदी ने कहा कि अगर आईएसआईएस के विरुद्ध फतवा न आया होता तो हम दाइश को पराजित करने में सफल न होते और आज यह जीत का समारोह न मना रहे होते ।

इराक के भूतपूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल मालेकी ने एक अन्य समारोह में कहा कि मरजईयत के फतवे और देश की जनता के बलिदान ने इराक को विभाजित करने की साज़िश पर पानी फेर दिया और दाइश जैसे फ़ितने को ख़त्म कर दिया

अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

लखनऊ मे नागरिक संशोधन बिल का ज़ोर दार विरोध

लखनऊ 9 दिसंबर: गांधी प्रतिमा, हज़रतगंज, लखनऊ में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (CAB) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया की।

प्रो। रमेश दीक्षित ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना है। सीएबी संविधान के इस दर्शन का उल्लंघन करता है। यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन करता है।
प्रो. अली खान महमूदाबाद ने कहा कि CAB न केवल अवैध है बल्कि यह अनैतिक है। सीएबी संविधान की हत्या और ‘भारत के विचार’ की हत्या है।
श्री अब्दुल हफीज गांधी ने बोलते हुए कहा कि भारत में धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सीएबी और एनआरसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का हमारे देश और संविधान की आत्मा को बचाने के लिए विरोध किया जाना चाहिए।

ईरान पर परमाणु निशाना, इस्राईल ने किया परमाणु मिसाइल परीक्षण

Dec ०७, २०१९ १६:११ Asia/Kolkata
  • ईरान पर परमाणु निशाना, इस्राईल ने किया परमाणु मिसाइल परीक्षण
इस्राईल ने ईरान को निशाना बनाने की क्षमता का प्रदर्शन करते हुए परमाणु हथियार ले जाने में वाले मिसाइल का परीक्षण करके मध्यपूर्व में पहले से ही जारी एक बड़े युद्ध की सुगबुगाहट को और हवा दे दी है।
ईरान का कहना है कि तेल-अवीव के दक्षिण से दाग़ा गया यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और इसे ईरान को निशाना बनाने की क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए दाग़ा गया है।


ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने शुक्रवार को एक ट्वीट करके परमाणु हथियारों को लेकर पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि पश्चिम ने कभी भी "मध्यपूर्व में एकमात्र परमाणु शस्त्रागार के बारे में शिकायत नहीं की", लेकिन "वह हमारे पारंपरिक रक्षात्मक मिसाइल कार्यक्रम पर छाती पीटता है।"
इस्राईल के टीवी चैनल आई24 की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईली सेना ने पूर्व योजना के अनुसार यह परीक्षण अंजाम दिया है।
मध्यपूर्व में केवल इस्राईल के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन न ही उसने कभी परमाणु हथियारों रखने का खंडन किया है और न ही कभी इस बात को स्वीकार किया है। हालांकि अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर और कई बड़े अख़बारों ने इस्राईल के पास परमाणु हथियार होने का रहस्योद्घाटन किया था।
एक अनुमान के मुताबिक़, इस्राईल के पास 200 से 400 तक परमाणु बम हैं।
ज़ायोनी शासन विमानों, मिसाइलों और परमाणु डुब्बियों द्वारा परमाणु हथियारों की डेलिवरी कर सकता है

अमेरिका और उपद्रवियों के खिलाफ बग़दाद की सड़कों पर उतराइराक

अमेरिका और उपद्रवियों के खिलाफ बग़दाद की सड़कों पर उतराइराक 

दुश्मन को अपने उद्देश्य मे आंशिक सफलता भी मिल गयी थी जब ईरान के वाणिज्य दूतावास और शहीद बाक़िर अल हकीम के मज़ार को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी ।
विलायत पोर्टल :
प्राप्त जानकारी के अनुसार इराक के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को आरजकत की आग में झोंके जाने से नाराज़ इराक की जनता सरकार और इराक पार्लियामेंट से आयतुल्लाह सीस्तानी के दिशा निर्देशों पर पालन करने की मांग करते हुए साम्राज्यवाद और अमेरिका के खिलाफ सड़कों पर उतर आई ।
रिपोर्ट के अनुसार फिलिस्तीन रोड से भारी संख्या में तहरीर स्कवायर की ओर बढ़ रहे लोगों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों में घुस आए उपद्रवी तत्वों को ढूंढ कर बाहर निकाल फेंका जाए, यह मूवमेंट मरजईयत के उस बयान के बाद शुरू हुआ है जिस में आयतुल्लाह सीस्तानी ने कहा था कि जनता को जागरूक होनाहोगा और अपने बीच घुस आए उपद्रवियों को तलाश कर बहार निकाल फेंकना होगा ।
ज्ञात रहे कि हाल ही में अरब देशों के पैसों और अमेरिकी साज़िशों के अंतर्गत बहुत से नकाबपोश लोगों ने नजफ़ और कर्बला को विशेष निशाना बनाते हुए प्रदर्शनकारियों के बीच घुस कर हिंसा फ़ैलाने के प्रयास किए थे विशेष रूप से दुश्मन को अपने उद्देश्य मे आंशिक सफलता भी मिल गयी थी जब ईरान के वाणिज्य दूतावास और शहीद बाक़िर अल हकीम के मज़ार को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी

राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का जवाब

  • राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का जवाब
वरिष्ठ नेता ने ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव की ओर से हालिया अशांति के प्रभावितों के बारे में पेश की गई रिपोर्ट के संबन्ध में कुछ प्रस्ताव पेश किये हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव अली शमख़ानी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट के जवाब में कहा है कि काम को तेज़ी अंजाम दिया जाए और संदिग्ध लोगों के साथ, चाहे वे किसी भी गुट के हों, इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप व्यवहार किया जाए।
यह वह रिपोर्ट है जिसे देश में हालिया अशांति के बाद वरिष्ठ नेता की ओर से जारी आदेश के बाद तैयार किया गया है जिसमें इस अशांति में लिप्त तत्वों की जानकारी और अशांति के कारणों को पहचानने की बात कही गई थी साथ ही इन घटनाओं में अपनी जान देने वालों और उनके परिवार वालों के बारे में भी आदेश दिया गया था।
इस रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि क़ानून के परिप्रेक्ष्य में वे आम नागरिक, जिनका हालिया अशांति में कोई हाथ नहीं था और जो झड़पों में मारे गए उनको शहीद माना जाए और उनके परिजनों को शहीद फाउन्डेशन के अन्तर्गत लाया जाए।  इसी प्रकार यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि वे निर्दोष लोग जो अशांति के दौरान मारे गए उनको मोआवेज़ा दिया जाए।  इसी के साथ वे लोग जो सुरक्षा बलों के साथ सशस्त्र संघर्ष में मारे गए हैं उसकी जांच-पड़ताल के बाद  उनके परिवार के सदस्यों को उनके अपराध से अलग समझा जाए।  इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने उन लोगों के बारे में, जो संदिग्ध पाए गए हैं, कहा है कि उनके परिवार वालों के साथ इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप ही व्यवहार किया जाए।
ज्ञात रहे कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के आदेश के दृष्टिगत हालिया अशांति के दौरान मारे जाने वालों और घायलों के बारे में प्रांतों के स्तर पर कार्यवाही और जांच आरंभ हो चुकी है।

ईरान की नई सबमरीन मिसाइल ने दुश्मनों के होश उड़ाए : रशिया टुडे


ईरान की नई सबमरीन मिसाइल ने दुश्मनों के होश उड़ाए : रशिया टुडे

ईरान ने हाल ही में जासिक 2 नाम की नई क्रूज़ मिसाइल का अनावरण किया है ईरान की जलसेना के प्रमुख एडमिरल ख़ानज़ादी ने कहा कि ईरान की यह नई मिसाइल हर प्रकार की सबमरीन पर लगाई जा सकती है
विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार रशिया टुडे ने ईरान के नई सैन्य उपलब्धि और सबमरीन क्रूज़ मिसाइल के अनावरण को ईरान दुश्मनों के लिए गहरा सदमा और झटका बताते हुए कहा कि ईरान की इस नई मिसाइल ने दुश्मनों को हैरत में डाल दिया है ।
ईरान ने हाल ही में जासिक 2 नाम की नई क्रूज़ मिसाइल का अनावरण किया है ईरान की जलसेना के प्रमुख एडमिरल ख़ानज़ादी ने कहा कि ईरान की यह नई मिसाइल हर प्रकार की सबमरीन पर लगाई जा सकती है, ईरानी सेना के अनुसार जल से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता को समय के साथ और अधिक  बढ़ाया जा सकता है ।

इराक की युद्ध की आग भड़की तो सबसे पहले अमेरिका जलेगा : हिज़्बुल्लाह

Code : 1890118 Hit

इराक की युद्ध की आग भड़की तो सबसे पहले अमेरिका जलेगा : हिज़्बुल्लाह

हिज़्बुल्लाह ने कहा कि अगर ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो देश का कोई भाग सुरक्षित नहीं रहेगा और इस आग में सबसे पहले जिसे जलना है वह अमेरिकी और सद्दाम और बॉथ के वफादार तथा उपद्रवी और हिंसा फैला रहे उन्मादी लोग हैं ।
विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार इराक में आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले सशस्त्र दल हिज़्बुल्लाह इराक ने देश में जारी  संकट में अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों की नकारात्मक भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर देश इसी तरह अराजकता का शिकार रहा और गृहयुद्ध की ओर बढ़ता है तो फिर लॉजिक और तार्किक वार्ता तथा न्याय का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा और ना ही यह बातें प्रभावी हो पाएंगी ।
हिज़्बुल्लाह ने कहा कि अगर ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो देश का कोई भाग सुरक्षित नहीं रहेगा और इस आग में सबसे पहले जिसे जलना है वह अमेरिकी और सद्दाम और बॉथ के वफादार तथा उपद्रवी और हिंसा फैला रहे उन्मादी लोग हैं ।
याद रहे कि कल रात नजफ़ में स्थित ईरानी वाणिज्य दूतावास को नकाबपोश लोगों ने हमलों का निशाना बनाया था, जिसे इराक में प्रतिबंधित सऊदी अरब के अल अरेबिया चैनल ने लाइव प्रसारित किया था ।

सीरियन सेना के बढ़ते क़दम, दक्षिणी इदलिब के क्षेत्रों को अल क़ायदा से मुक्त कराया


सीरियन सेना के बढ़ते क़दम, दक्षिणी इदलिब के क्षेत्रों को अल क़ायदा से मुक्त कराया

रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने आतंकी गुटों के खिलाफ सैन्य अभियान को तेज़ करते हुए मिशरफा क्षेत्र में मौजूद वहाबी आतंकी गुटों के सैन्य साज़ो सामान को नष्ट करते हुए आतंकियों को पीछे भागने पर मजबूर कर दिया ।
विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाबी आतंकी संगठनों के विरुद्ध संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए सीरियन सेना ने अमेरिका, इस्राईल, सऊदी तथा तुर्की समर्थित आतंकी गुट अल क़ायदा को दक्षिणी इदलिब के मिशरफा क्षेत्र से मार भगाया है।
रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने आतंकी गुटों के खिलाफ सैन्य अभियान को तेज़ करते हुए मिशरफा क्षेत्र में मौजूद वहाबी आतंकी गुटों के सैन्य साज़ो सामान को नष्ट करते हुए आतंकियों को पीछे भागने पर मजबूर कर दिया ।
रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने मिशरफा क्षेत्र को आतंकियों से आज़ाद कराने के बाद इदलिब के अन्य क्षेत्रों की ओर क़दम बढ़ा दिए हैं सीरियन सेना एयरफोर्स की सहायता के साथ इदलिब के ने क्षेत्रों को आज़ाद कराने के लिए अभियान चलाये हुए है

ईरान में शोक की लहर, आयतुल्लाह मीर मोहम्मदी ने दुनिया को अलविदा कहा

ईरान में शोक की लहर, आयतुल्लाह मीर मोहम्मदी ने दुनिया को अलविदा कहा

आयतुल्लाह सय्यद अबुल फज़ल मीर मोहम्मदी क़ुर्आने मजीद की तफ़्सीर के अलावा और भी बहुत से किताबों के रचयिता थे उन्होंने हौज़े ए इल्मिया के अलावा देश की कई यूनिवर्सिटीज़ में भी सेवा की है । आप असेंबली ऑफ़ एक्सपर्ट्स के सबसे वृद्ध सदस्य थे ।
विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार ईरान के वरिष्ठ धर्मगुरु तथा असेंबली ऑफ़ एक्सपर्ट्स में तेहरान के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सय्यद अबुल फज़ल मीर मोहम्मदी का इंतेक़ाल हो गया है ।
आयतुल्लाह सय्यद अबुल फज़ल मीर मोहम्मदी  क़ुर्आने मजीद की तफ़्सीर के अलावा और भी बहुत से किताबों के रचयिता थे उन्होंने हौज़े ए इल्मिया के अलावा देश की कई यूनिवर्सिटीज़ में भी सेवा की है । आप असेंबली ऑफ़ एक्सपर्ट्स के सबसे वृद्ध सदस्य थे ।

Ittehaad me badi taqt hai is video ko zaroor daikhye

Ittehaad me badi taqt hai is video ko zaroor daikhye
https://youtu.be/Dpo02L-LYh8

**सारे इंसानों से अच्छा सुलूक


**सारे इंसानों से अच्छा सुलूक
अहलेबैत अ.स. हमेशा अपने शियों को दूसरे इस्लामी फ़िरक़ों की पैरवी करने वालों के साथ अच्छा रवैया बरतने की बात करते थे, और उनकी ख़ुद की सीरत भी इसी तरह थी, इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. ने फ़रमाया: अगर कहीं पर तुम्हारा साथ यहूदी के साथ हो जाए तो उससे भी अच्छा बर्ताव करो, इसी तरह इमाम अली अ.स. अपनी ज़िंदगी में सभी अहले किताब चाहे यहूदी हों या ईसाई सबके साथ अच्छा व्यवहार करते थे, जिसका नतीजा कभी कभी यह होता था कि बहुत सारे यहूदी और ईसाई आपका बर्ताव देख कर इस्लाम क़बूल कर लेते थे, अगर कोई शख़्स अहलेबैत अ.स. के दूसरे मज़हब के साथ सुलूक पर रिसर्च करना चाहे तो अच्छी ख़ासी किताबें तैयार हो सकती हैं। 
क़ुरआन और अहलेबैत अ.स. की तालीमात के मुताबिक़ एक मुसलमान को सारे इंसानों के साथ अच्छा और व्यवहार करना चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए इसलिए कि क़ुरआन में साफ़ शब्दों में हुक्म है कि "इंसानों से नर्म रवैये से बात करो" 
(सूरए बक़रह, आयत 83)।
अल्लाह ने इस आयत में यह नहीं कहा केवल मोमेनीन से या केवल मुसलमानों से नर्म लहजे और अच्छे रवैये से बात करो बल्कि जिस शब्द का इस्तेमाल किया है उसमें शिया, सुन्नी, हिंदू, यहूदी, ईसाई, सिख सभी धर्म और जाति के लोग शामिल हैं। 
इस आयत के बारे में इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. फ़रमाते हैं कि: आयत का मतलब यह है कि तुम जिस तरह और जिस लहजे में चाहते हो लोग तुमसे बात करें तुम भी उसी लहजे में बात करो और वैसा ही व्यवहार करो। 
इसी तरह इमाम सादिक़ अ.स. ने फ़रमाया: हमारे लिए इज़्ज़त और सम्मान का कारण बनो अपमान और ज़िल्लत का नहीं, लोगों से अच्छे और नर्म लहजे में बातें करो और अपनी ज़ुबान को बुरी बातों से बचाओ और बेहूदा और फ़ुज़ूल की बातों से बचो।
अहलेबैत अ.स. ने शियों को अहले सुन्नत के साथ विशेष तौर पर तक़वा का ख़्याल रखने की वसीयत की है, आप फ़रमाते हैं कि: "उनके बीमारों की अयादत के लिए जाओ, उनके जनाज़े में शामिल हो, उनकी मस्जिदों में उनके साथ नमाज़ अदा करो" ख़ुद अहलेबैत अ.स. का उनकी अपनी ज़िंदगी में यही तरीक़ा रहा है, एक हदीस में यह भी है कि जो भी इस तरीक़े पर अमल न करे अहलेबैत अ.स. उससे उससे दूरी बना लेते हैं और उसे अपना शिया नहीं मानते।
एक सहीह हदीस में इमाम सादिक़ अ.स. से नक़्ल हुआ है कि जो शख़्स इत्तेहाद की ख़ातिर अहले सुन्नत की पहली सफ़ में खड़े होकर नमाज़ अदा करे वह उस शख़्स की तरह है जिसने पैग़म्बर स.अ. के पीछे नमाज़ अदा की हो, इस रिवायत से ज़ाहिर है कि अहले सुन्नत के साथ नमाज़ अदा करना न केवल जाएज़ है बल्कि बहुत ज़्यादा सवाब भी रखता है, और भी इस तरह की कई रिवायतें हैं जिनकी बुनियाद पर हमारे मराजे ने फ़तवे दिए हैं।
दूसरों के मुक़द्दसात को बुरा भला कहने से मना करना
इस बात का तजुर्बा किया जा चुका है कि दूसरों के मुक़द्दसात को बुरा भला कह कर उन्हें गाली देकर गुमराहों की कभी भी न केवल हिदायत नहीं हुई बल्कि उनके अंदर ज़िद पैदा हो गई है और उसके बाद वह विरोध पर उतर आए हैं, इसी वजह से अहलेबैत अ.स. अपने शियों को याद दिलाते थे कि अल्लाह ने उसके न मानने वालों को भी गाली देने और बुरा भला कहने से मना किया है जैसाकि क़ुरआन में इरशाद है कि: "उन लोगों के ख़ुदाओं को जो अल्लाह के अलावा किसी और को अपना ख़ुदा मानते हैं उन्हें गाली मत दो, कहीं ऐसा न हो वह तुम्हारे ख़ुदा को अनजाने में गाली दे बैठें"। (सूरए अनआम, आयत 108)
इसलिए गाली और बुरा भला कहने से बचना क़ुरआनी और इस्लामी उसूल है जिस पर पैग़म्बर स.अ. और अहलेबैत अ.स. ने बहुत ताकीद की है।
सिफ़्फ़ीन की जंग में इमाम अली अ.स. के चाहने वालों ने अपने मुक़ाबले पर जंग करने वालों को गाली दी तब आपने फ़रमाया: मैं इस बात को सही और मुनासिब नहीं समझता कि अपने दुश्मन को गालियां या बद दुआ देने वाले बन जाओ, उन्हें बुरा भला कहो या उनसे नफ़रत करने वाले बन जाओ, लेकिन अगर कोई इंसानियत के विरुद्ध काम करे या नैतिक मूल्यों को रौंद डाले तो उसकी उस बुराई को सबके सामने बयान कर सकते हो।
इसलिए बुरा भला न कहने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है वह इंसान जिसकी नज़र में इंसानियत की कोई क़ीमत न हो या वह वह इंसान जिसके नज़दीक नैतिकता का कोई सम्मान न हो उसकी इस हरकत पर भी चुप रहो, नहीं! उसकी इस हरकत को सारी दुनिया के सामने ज़ाहिर करना ज़रूरी है।
एक और रिवायत में शियों को पैग़ाम दिया गया है कि: अल्लाह को हमेशा ध्यान में रखो और जिसके साथ भी दोस्ती करो उसके साथ अच्छे रवैये से पेश आओ, पड़ोसियों का ख़्याल रखो और अमानत को उसके मालिक तक पहुंचाओ, लोगों को सुवर मत कहो, अगर हमारे चाहने वाले और हमारे शिया हो तो जैसे हम बातचीत करते हैं जैसा हमारा रवैया है वैसा ही अपनाओ ताकि हक़ीक़त में हमारे शिया कहलाओ।
इन रिवायतों से साफ़ ज़ाहिर है कि उस दौर में कुछ लोग ऐसे थे जो दूसरे मज़हब और दूसरे धर्म के मानने वालों को बुरा भला कहते थे और उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे, पैग़म्बर स.अ. और अहलेबैत अ.स. ने इस हरकत का कड़े शब्दों में विरोध करते हुए आपसी भाईचारे को बाक़ी रखने का हुक्म दिया है

इमाम हसन असकरी अ.स. की ज़िंदगी पर एकनिगाह




इमाम हसन असकरी अ.स. की ज़िंदगी पर एकनिगाह 

शियों के गयारहवें इमाम हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. 232 हिजरी में मदीना शहर में पैदा हुए, चूंकि आप भी अपने वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. की तरह सामर्रा के असकर नामी इलाक़े में मुक़ीम थे इसलिए आप असकरी के नाम से मशहूर हुए, आपकी कुन्नियत अबू मोहम्मद और मशहूर लक़ब नक़ी और ज़की है, आपने 6 साल इमामत की ज़िम्मेदारी संभाली और 28 साल की उम्र में मोतमद अब्बासी के हाथों शहीद हो गए


..
.
विलायत पोर्टल: हमेशा से यह सुन्नत रही है कि ऐसे बुज़ुर्गों की ज़िंदगी और उनके किरदार ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है जिनमें इंसानी पहलू मौजूद रहा हो, उनमें अल्लाह के भेजे हुए नबी और अलवी मकतब के रहनुमा वह ऐसे लोग हैं जो अल्लाह की ओर से सारे इंसानों के लिए बेहतरीन आइडियल बनाए गए हैं।
शियों के गयारहवें इमाम हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. 232 हिजरी में मदीना शहर में पैदा हुए, चूंकि आप भी अपने वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. की तरह सामर्रा के असकर नामी इलाक़े में मुक़ीम थे इसलिए आप असकरी के नाम से मशहूर हुए, आपकी कुन्नियत अबू मोहम्मद और मशहूर लक़ब नक़ी और ज़की है, आपने 6 साल इमामत की ज़िम्मेदारी संभाली और 28 साल की उम्र में मोतमद अब्बासी के हाथों शहीद हो गए।
इमाम हसन असकरी अ.स. की रणनीति
इमाम हसन असकरी अ.स. ने हर तरह के दबाव और अब्बासी हुकूमत की ओर से कड़ी निगरानी के बावजूद दीन की हिफ़ाज़त और इस्लाम विरोधी विचारधारा का मुक़ाबला करने के लिए अनेक राजनीतिक, सामाजिक और इल्मी कोशिशें अंजाम देते रहे और अब्बासी हुकूमत की इस्लाम की नाबूदी की साज़िश को नाकाम कर दिया, आपकी इमामत के दौरान कुछ अहम रणनीतियां इस तरह थीं......
इस्लाम की हिफ़ाज़त के लिए इल्मी कोशिशें, विरोधियों के कटाक्ष का जवाब, हक़ीक़ी इस्लाम और सही विचारधारा का प्रचार, ख़ुफ़िया राजनीतिक क़दम, शियों की विशेष कर क़रीबी साथियों की जो हर तरह का ख़तरा मोल ले कर हर समय इमाम अ.स. के इर्द गिर्द रहते थे उनकी माली मदद करना, कठिनाईयों से निपटने के लिए बुज़ुर्ग शियों का हौसला बढ़ाना और उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को मज़बूत करना, शियों के अक़ीदों और इमामत का इंकार करने वालों के लिए इल्मे ग़ैब का इस्तेमाल करना और अपने बेटे इमाम महदी अ.स. की ग़ैबत के लिए शियों की फ़िक्र को तैयार करना।
इल्मी कोशिशें
हालांकि इमाम हसन असकरी अ.स. के दौर में हालात की ख़राबी और अब्बासी हुकूमत की ओर से कड़ी पाबंदियों की वजह से आप समाज में अपने इलाही इल्म को नहीं फैला सके लेकिन इन सब पाबंदियों के बावजूद ऐसे शागिर्दों की तरबियत की जिनमें से हर एक अपने तौर पर इस्लामी मआरिफ़ और इमाम अ.स. के इल्म को लोगों तक पहुंचाने में अहम रोल निभाता रहा, शैख़ तूसी र.ह. ने आपके शागिर्दों की तादाद सौ से ज़्यादा नक़्ल की है, जिनमें अहमद इब्ने इसहाक़ क़ुम्मी, उस्मान इब्ने सईद और अली इब्ने जाफ़र जैसे बुज़ुर्ग शिया उलमा शामिल हैं, कभी कभी मुसलमानों और शियों के लिए ऐसी मुश्किलें और कठिनाईयां पेश आ जाती थीं कि उन्हें केवल इमाम हसन असकरी अ.स. ही हल कर सकते थे, ऐसे मौक़ों पर इमाम अ.स. अपने इमामत के इल्म और हैरान कर देने वाली तदबीरों से कठिन से कठिन मुश्किल को हल कर दिया करते थे।
शियों का आपसी संपर्क
इमाम हसन असकरी अ.स. के दौर में अनेक इलाक़ों और कई शहरों में शिया फैल चुके थे और कई इलाक़ों में अच्छी ख़ासी तादाद में थे जैसे कूफ़ा, बग़दाद, नेशापुर, क़ुम, मदाएन, ख़ुरासान, यमन और सामर्रा शियों के बुनियादी मरकज़ में से थे, शिया इलाक़ों का इस तरह तेज़ी से फैलने और कई इलाक़ों में शियों का अच्छी ख़ासी तादाद में होने को देखते हुए ज़रूरी था कि उनके बीच आपस में एक दूसरे से संपर्क बनाए रहें ताकि उनकी दीनी और सियासी रहनुमाई हो सके और उन सभी को एक साथ मंज़िल तक पहुंचाया जा सके, यह ज़रूरत इमाम मोहम्मद तक़ी अ.स. के दौर ही से महसूस हो रही थी और वकालत से संबंधित सिस्टम को ईजाद कर के और अलग अलग इलाकों में वकीलों को भेज कर इस काम को शुरू किया जा चुका था, इमाम हसन असकरी अ.स. ने भी इसी को जारी रखा, जैसाकि तारीख़ी हवाले से यह बात साबित है कि आपने शियों के अहम और बुज़ुर्ग लोगों में से अपने वकीलों को चुन कर उनको अलग अलग इलाक़ों में भेज दिया।
ख़त और दूत (क़ासिद) का सिलसिला
वकालत का सिस्टम क़ायम करने के अलावा इमाम हसन असकरी अ.स. अपने सफ़ीर और क़ासिद को भेज कर भी अपने शियों और मानने वालों से संपंर्क करते थे और इस तरह उनकी मुश्किलों को दूर करते थे, अबुल अदयान (जोकि आपके क़रीबी सहाबी थे) के काम उन्हीं कोशिशों का नतीजा हैं, वह इमाम के ख़तों को आपके शियों तक पहुंचाते और उनके ख़तों, सवालों, मुश्किलों, ख़ुम्स और दूसरे माल शियों से लेकर सामर्रा में इमाम अ.स. तक पहुंचाते थे।
क़ासिद और दूत के अलावा इमाम अ.स. ख़तों द्वारा भी अपने शियों से संपर्क में रहते थे और उनकी अपने ख़तों से हिदायत करते थे, इसकी मिसाल इमाम अ.स. का वह ख़त है जो आपने इब्ने बाबवैह र.ह. (शैख़ सदूक़ र.ह. के वालिद) को लिखा था, इसके अलावा इमाम अ.स. ने क़ुम और आवह के शियों को भी ख़त लिखे थे जिनका मज़मून शिया किताबों में मौजूद है।
ख़ुफ़िया राजनीतिक क़दम
इमाम हसन असकरी अ.स. सारी पाबंदियों और हुकूमत की ओर से कड़ी निगरानी के बावजूद कुछ ख़ुफ़िया राजनीतिक क़दम उठा कर शियों की रहनुमाई करते रहते थे, और आपके यह राजनीतिक क़दम दरबारी जासूसों से इसलिए छिपे रहते थे क्योंकि आप बहुत ही सूझबूझ से वह क़दम उठाते थे, जैसे आपके बहुत क़रीबी सहाबी उस्मान इब्ने सईद का तेल की दुकान की आड़ में इमाम अ.स. का पैग़ाम शियों तक पहुंचाना, इमाम हसन असकरी अ.स. के शिया जो भी चीज़ या माल इमाम अ.स. तक पहुंचाना चाहते थे वह उस्मान को दे दिया करते थे और वह यह चीज़ें घी के डिब्बों और तेल की मश्कों में छिपा कर इमाम अ.स. तक पहुंचा दिया करते थे, इमाम अ.स. की कड़ी निगरानी के बावजूद दुश्मन की नाक के नीचे ऐसी बहादुरी वाले क़दम उठाने की वजह से आपकी 6 साल की इमामत अब्बासियों के ख़तरनाक क़ैदख़ानों में गुज़री।
शियों की माली मदद
आपका एक और अहम क़दम शियों की विशेष कर क़रीबी असहाब की माली मदद करना था, इमाम अ.स. के कुछ असहाब माली मुश्किल लेकर आते थे और आप उनकी मुश्किल को दूर करते थे, आपके इस अमल की वजह से वह लोग माली परेशानियों से घबरा कर हुकूमती और दरबारी इदारों की ओर आकर्षित होने से बच जाते थे।
इस बारे में अबू हाशिम जाफ़री कहते हैं कि मैं आर्थिक तंगी से गुज़र रहा था, मैंने सोंचा कि एक ख़त द्वारा अपने हाल को इमाम हसन असकरी अ.स. तक पहुंचाऊं, लेकिन मुझे शर्म आई और मैंने अपना इरादा बदल दिया, जब मैं घर पहुंचा तो देखा कि इमाम अ.स. ने मेरे लिए 100 दीनार भेजे हुए हैं और एक ख़त भी लिखा है कि जब कभी तुम्हें ज़रूरत हो तो शर्माना नहीं, हमसे मांग लेना इंशा अल्लाह तुम्हारी मुश्किल दूर हो जाएगी।
बुज़ुर्ग शियों और उनके राजनीतिक मतों को मज़बूत करना
इमाम हसन असकरी अ.स. की एक बहुत अहम राजनीतिक गतिविधि यह थी कि आप शियों के अज़ीम मक़सद को हासिल करने की राह में आने वाली तकलीफ़ों और अब्बासी हाकिमों की साज़िशों का मुक़ाबला करने के लिए शिया बुज़ुर्गों की सियासी हवाले से तरबियत करते और उनके राजनीतिक मतों को मज़बूत करते थे, चूंकि शिया बुज़ुर्ग शख़्सियतों पर हुकूमत का सख़्त दबाव होता था इसलिए इमाम अ.स. हर एक को उसके विचारों और उसकी फ़िक्र के हिसाब से उसका हौसला बढ़ाते और उनकी रहनुमाई करते थे ताकि कठिन समय में उनका सब्र और हौसला बना रहे और वह अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारियों को सही तरीक़े से निभा सकें, इस हवाले से इमाम अ.स. ने जो ख़त अली इब्ने हुसैन इब्ने बाबवैह क़ुम्मी र.ह. को लिखा उसमें फ़रमाते हैं कि हमारे शिया कठिन दौर से गुज़रेंगे यहां तक कि मेरा बेटा ज़ुहूर करेगा, यही मेरा वह बेटा होगा जिसके बारे में अल्लाह के रसूल ने बशारत दी है कि वह ज़मीन को अदालत और इंसाफ़ से इस तरह भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म और अत्याचार से भरी होगी।
इल्मे ग़ैब का इस्तेमाल
हमारे सभी इमाम अल्लाह से संपंर्क में रहने की वजह से इल्मे ग़ैब रखते थे और ऐसे हालात में जब इस्लाम की सच्चाई या मुसलमानों के सामाजिक फ़ायदे ख़तरे में पड़ जाएं तो उस समय उस इल्म का इस्तेमाल करते थे, हालांकि इमाम हसन असकरी अ.स. की ज़िंदगी को अगर देखा जाए तो यह बात अच्छी तरह सामने आ जाएगी कि आपने दूसरे इमामों को देखते हुए इल्मे ग़ैब का ज़्यादा इज़हार किया है, और उसकी सीधी वजह उस दौर के भयानक हालात और ख़तरनाक माहौल था, क्योंकि जबसे आपके वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. को सामर्रा ले जाया गया तबसे आप कड़ी निगरानी में थे, अब्बासी हुकूमत की सख़्तियों और निगरानी की वजह से हालात ऐसे हो गए थे कि आप अपने बाद आने वाले इमाम अ.स. को खुल कर नहीं पहचनवा पा रहे थे, जिसकी वजह से कुछ शियों के दिलों में शक बैठने लगा था, इमाम अ.स. उन शक और मन की शंकाओं को दूर करने और उस दौर के ख़तरों से अपने असहाब को बचाने के लिए और गुमराहों की हिदायत करने के लिए आप इल्मे ग़ैब का इस्तेमाल करते हुए ग़ैब की ख़बरें दिया करते थे।
इस्लामी तालीमात की हिफ़ाज़त
हुकूमतों द्वारा इमामों का आम मुसलमानों से संपंर्क न बनाने देने के पीछे का राज़ यह है कि कुछ हाकिम चाहते थे कि इस्लामी ख़ेलाफ़त की आड़ में आम मुसलमानों को अपनी ओर खींच लिया जाए और फिर जिस तरह चाहें और जो चाहें अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ उनको रखा जाए, नतीजे में जवानों के अक़ीदों को कमज़ोर किया जाता था और उनको ऐसे बातिल अक़ीदों और नीच सोंच में उलझा देते थे ताकि आम मुसलमानों को गुमराह करने का प्लान कामयाब हो सकें।
इमाम हसन असकरी अ.स. का दौर एक कठिन दौर था जिसमें अनेक तरह की फ़िक्रें और विचारधाराएं इस्लामी समाज के लिए ख़तरा बन चुकी थीं, लेकिन आपने अपने वालिद और दादा की तरह एक पल के लिए भी इस साज़िश से ध्यान नहीं हटाया बल्कि पूरी सावधानी और गंभीरता के साथ इस्लाम की ग़लत तस्वीर बताने वालों, सूफ़ियत, ग़ुलू करने वालों, शिर्क और भी इसके अलावा बहुत सारी ख़ुराफ़ात और वाहियात जो मज़हब के नाम पर दीन का हिस्सा बताई जा रही थीं उन सबका मुक़ाबला किया और इनमें से किसी को भी अपने दौर में पनपने नहीं दिया।
इमाम हसन असकरी अ.स. और इस्लाम का ज़िंदा बाक़ी रखना
अब्बासी हुकूमत दौर और ख़ास कर इमाम हसन असकरी अ.स. का दौर उन सबसे बुरे दौर में से एक था जिसमें हाकिमों की अय्याशी, उनके ज़ुल्म और अत्याचार, दीनी मामलात से बे रुख़ी, और दूसरी ओर मुसलमानों के इलाक़ों में ग़रीबी के फैलने की वजह से दीनी वैल्यूज़ ख़त्म हो चुकी थीं, इसलिए अगर इमाम हसन असकरी अ.स. द्वारा दिन रात की जाने वाली मेहनतें और कोशिशें न होतीं तो अब्बासियों की सियासत की वजह से इस्लाम का नाम भी लोगों के दिमाग़ से मिट जाता, हालांकि इमाम अ.स. ख़ुद अब्बासी हाकिमों की कड़ी निगरानी में थे लेकिन आपने हर इस्लामी शहर में अपने वकीलों को तैनात कर रखा था जिनके द्वारा मुसलमानों के हालात मालूम करते रहते थे, कुछ शहरों की मस्जिदें और इमारतें भी इमाम अ.स. के हुक्म से बनाई गईं, जिसमें ईरान के क़ुम शहर में मौजूद इमाम हसन असकरी (अ.स.) मस्जिद शामिल है, इससे पता चलता है कि आप अपने वकीलों और इल्मे इमामत से मुसलमानों की हर तरह की मुश्किल और उनकी पिछड़ेपन को जानते और उसे दूर करते थे।

आतंगवादी दाइश का सरगना अबु बकर बगदादी को अमेरिका ने ही बनाया था. रूस

आतंगवादी दाइश का सरगना अबु बकर बगदादी को अमेरिका ने ही बनाया था. रूस.









मास्को रूसी वज़ीरे ख़ारजा सर्गेई लावरोफ़ ने कहा की आतंगवादी दाइश का सरगना अबु बकर बगदादी को अमेरिका ने ही बनाया था.
इसे अमेरिका ने ही तयार किया और टुसु पेपर की तरह इस्तेमाल किया..
2003 मे अमेरिका अमन के बहाने इराक मे दाखिल हुआ और और ज़वाल पज़ीर मुल्क़ की जेलों मे खतरनाक लड़ाकों को रिहा किया जिस के बाद दाइश ने अपनी जड़े मज़बूत कर ली.. 

इराक ने यूरोप की मांग ठुकराई, 13 हज़ार वहाबी आतंकियों को देश में आने से रोका ।

वहीँ दूसरी ओर सीरिया की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी साना ने कहा है कि उत्तरी सीरिया में तुर्की के हमलों के साथ ही अमेरिका इस क्षेत्र से आईएसआईएस के आतंकियों को निकाल कर ले जाता रहा है ।तुर्की के हमलों के बाद से अब तक अमेरिका इस क्षेत्र से आईएसआईएस से जुडी 1500 महिला आतंकियों को निकाल कर ले जा चुका है ।
विलायत पोर्टल  : प्राप्त जानकारी के अनुसार इराक ने यूरोपीय प्रतिनिधि दल की उस मांग को ठुकरा दिया है जिसमे यूरोपीय देशों ने बगदाद से मांग की थी कि बगदाद वहाबी आतंकी संगठन आईएसआईएस एवं अन्य आतंकी समूहों के 13000 लोगों को इराक में आने की अनुमति दे और यहीं पर उनके खिलाफ न्यायिक कार्रवाई हो ।
इराक के एक वरिष्ठ राजनेता ने कहा कि बगदाद ने यूरोपीय दल की मांग को अनुचित बताते हुए कहा कि सीरिया में बंदी बनाए गए इन आतंकियों ने इराक की धरती पर कोई काण्ड नहीं किया अतः उन पर इराक में मुक़दमा चलने का कोई औचित्य नहीं है ।
वहीँ दूसरी ओर सीरिया की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी साना ने कहा है कि उत्तरी सीरिया में तुर्की के हमलों के साथ ही अमेरिका इस क्षेत्र से आईएसआईएस के आतंकियों को निकाल कर ले  जाता रहा है ।
तुर्की के हमलों के बाद से अब तक अमेरिका इस क्षेत्र से आईएसआईएस से जुडी 1500 महिला आतंकियों को निकाल कर ले जा चुका है ।

नौहा ख्वा सय्यद अरशद मेंहदी जौनपुर की पुरदर्द आवाज़

हुसैनी फोरम इण्डिया ने वृद्धा आश्रम में बांटे दूध फल एवं बिस्किट

  • हुसैनी फोरम इण्डिया ने वृद्धा आश्रम में बांटे दूध फल एवं बिस्किट 







जौनपुर। शिया समुदाय के लोगों ने मंगलवार को ईद-ए-गदीर का पर्व बड़े ही अकीदत के साथ मनाया। जनपद में ईद ए गदीर के अवसर पर गरीबों बेसहारों की मदद करते हुये लोग देखे गये। महफिलों जूलूसों व नज्र का सिलसिला चलता रहा। 

हुसैनी फोरम इण्डिया के राष्ट्रीय संयोजक खान इकबाल मधु के नेतृत्व में संस्था के सदस्यों ने वृद्धा आश्रम प्रेम राजपुर में प्रात:काल पहुंचकर वहां पर मौजूद बुजुर्ग महिलाओं एवं पुरु षों को ईद-ए-गदीर के अवसर पर दूध, फल व बिस्किट वितरीत किया। संचालन समाजसेवी एएम डेजी ने किया एवं सभी को ईद-ए-गदीर की मुबारकबाद दी। वृद्धा आश्रम में मौजूद बुर्जुगों ने आयोजकों को आशीर्वाद दिया। 

संस्था के राष्ट्रीय संयोजक खान इकबाल मधु ने कहा कि आज ही के दिन रसूल ए खुदा मोहम्मद मुस्तफा स.अ.व.व. ने हजरत अली अ.स. को अपना जांनशीन (उत्तराधिकारी) घोषित किया था। इसी दिन की याद में हर वर्ष ईद ए गदीर का पर्व मनाया जाता है। इस्लाम मजहब में मां बाप को बड़ा ही ऊंचा मुकाम दिया गया है। इसीलिए ईद ए गदीर के दिन हमारी संस्था ने वृद्धा आश्रम के बुजुर्गों के साथ कुछ वक्त गुजारने का निर्णय लिया और उनको दूध, फल व बिस्किट वितरित किया। हमारी संस्था अन्य अवसरों पर भी इस वृद्धा आश्रम को अपना सहयोग देती रहेगी।मौलाना सय्यद बाक़िर मेंहदी नेअपने वक़्त पैश करते हुए  कहा की आज का दिन सब के बड़ा महत्व रखता है क्यों की आज उनकी ताज़ पोशी का दिन है जो इंसानियत के लिए जिसने अपनी क़ुर्बानी दे दी...

इस अवसर पर मौलना सय्यद बाकर मेंहदी आबिदी , अहसन रिजवी, नासिर अब्बास एडवोकेट, लाडले जैदी, जैनवीर, गुड्डू, अज़मत अली, अनवर अब्बास एवं संस्था के पदाधिकारी मौजूद रहे।


fted with  by Temp

Disqus Shortname

sigma-2

Comments system

[blogger][disqus][facebook]

Archive Pages Design$type=blogging$count=7

About Me

Duis autem vel eum iriure dolor in hendrerit in vulputate velit esse molestie consequat, vel illum dolore eu feugiat nulla facilisis at vero eros et accumsan et iusto odio dignissim qui blandit praesent luptatum zzril delenit augue duis.
Read More