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योमूल क़ुदस यानी इजराईल के ज़ुल्म के खिलाफ़ प्रदर्शन

योमूल क़ुदस यानी इजराईल के ज़ुल्म के खिलाफ़ प्रदर्शन







क़ुद्स की तारीख़ समझने के लिए सबसे पहले हमें यह पता होना ज़रूरी है कि ईरान में सन 1979 में इस्लामी इन्क़लाब के रहबर हज़रत आयतुल्लाह इमाम ख़ुमैनी साहब ने यह एलान किया था कि माहे रमज़ान के अलविदा जुमे को सारी दुनिया *क़ुद्स दिवस* की शक्ल में मनाएं।


दरअसल क़ुद्स का सीधा राब्ता मुसलमानों के क़िब्ला ए अव्वल बैतूल मुक़द्दस यानी मस्जिदे अक़्सा जो कि फ़िलिस्तीन में है, उसपर इस्राईल ने आज से 73 साल पहले तक़रीबन सन 1948 में नाजायज़ कब्ज़ा कर लिया था जो आज तक क़ायम है। इस्लामी तारीख़ के मुताबिक़ ख़ानए काबा से पहले मस्जिदे अक़्सा ही मुसलमानों का क़िब्ला हुआ करती थी और सारी दुनिया के मुसलमान बैतूल मुक़द्दस की तरफ़ (चौदह साल तक) रुख़ करके नमाज़ पढ़ते थे, उसके बाद ख़ुदा के हुक्म से क़िब्ला बैतूल मुक़द्दस से बदल कर ख़ानए काबा कर दिया गया था जो अभी भी मौजूदा क़िब्ला है। तारीख़ के मुताबिक़ मस्जिदे अक़्सा सिर्फ़ पहला क़िब्ला ही नहीं बल्कि कुछ और वजह से भी मुसलमानों के लिए खास और अहम है। रसूले ख़ुदा (स) अपनी ज़िन्दगी में मस्जिदे अक़्सा तशरीफ़ ले गए थे और वही से आप मेराज पर गए थे। इसी तरह इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के हवाले से हदीस में मिलता है कि आप फ़रमाते है: मस्जिदे अक़्सा इस्लाम की एक बहुत अहम मस्जिद है और यहां पर नमाज़ और इबादत करने का बहुत सवाब है। बहुत ही अफ़सोस की बात है कि यह मस्जिद आज ज़ालिम यहूदियों के नाजायज़ क़ब्ज़े में है।


इसकी शुरुवात सबसे पहले सन 1917 में हुई जब ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री जेम्स बिल्फौर ने फ़िलिस्तीन में एक यहूदी मुल्क़ बनाने की पेशकश रखी और कहा कि इस काम में लंदन पूरी तरह से मदद करेगा और उसके बाद हुआ भी यही कि धीरे धीरे दुनिया भर के यहूदियों को फ़िलिस्तीन पहुंचाया जाने लगा और बिलआख़िर 15 मई सन 1948 में इस्राईल को एक यहूदी देश की शक्ल में मंजूरी दे दी गई और दुनिया में पहली बार इस्राईल नाम का एक नजीस यहूदी मुल्क़ वजूद में आया। इसके बाद इस्राईल और अरब मुल्क़ों के दरमियान बहुत सी जंगे हुई मगर अरब मुल्क़ हार गए और काफ़ी जान माल का नुक़सान हो जाने और अपनी राज गद्दियां बचाने के ख़ौफ़ से सारे अरब मुल्क़ ख़ामोश हो गए और उनकी ख़ामोशी को अरब मुल्क़ों की तरफ़ से हरी झंडी भी मान लिया गया। जब सारे अरब मुल्क़ थक हार कर अपने मफ़ाद के ख़ातिर ख़ामोश हो गए तो ऐसे हालात में फिर वह मुजाहिदे मर्दे मैदान खड़ा हुआ जिसे दुनिया रूहुल्लाह अल मूसवी, इमाम ख़ुमैनी के नाम से जानती है।


तक़रीबन सन 1979 में इमाम ख़ुमैनी साहब ने नाजायज़ इस्राईली हुकूमत के मुक़ाबले में बैतूल मुक़द्दस की आज़ादी के लिए माहे रमज़ान के आख़िरी अलविदा जुमे को *यौमे क़ुद्स* का नाम दिया और अपने अहम पैग़ाम में आपने यह एलान किया और तक़रीबन सभी मुस्लिम और अरब हुकूमतों के साथ साथ पूरी दुनिया को इस्राईली फ़ित्ने के बारे में आगाह किया और सारी दुनिया के मुसलमानों से अपील की कि वह इस नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ आपस में एकजुट हो जाएं और हर साल रमज़ान के अलविदा जुमे को *यौमे क़ुद्स* मनाएं और मुसलमानों के इस्लामी क़ानूनों और उनके हुक़ूक़ के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें। जहां इमाम ख़ुमैनी ने *यौमे क़ुद्स* को इस्लाम के ज़िंदा होने का दिन क़रार दिया वहीं आपके अलावा बहुत से और दीगर आयतुल्लाह और इस्लामी उलमा ने भी *यौमे क़ुद्स* को तमाम मुसलमानों की इस्लामी ज़िम्मेदारी क़रार दी। लिहाज़ा सन 1979 में इमाम ख़ुमैनी साहब के इसी एलान के बाद से आज तक न सिर्फ़ भारत बल्कि सारी दुनिया के तमाम मुल्क़ों में जहां जहां भी मुसलमान, ख़ास तौर पर शिया मुस्लिम रहते है, वह माहे रमज़ान के अलविदा जुमे को मस्जिदे अक़्सा और फ़िलिस्तीनियों की आज़ादी के लिए एहतजाज करते हैं और रैलियां निकालते हैं।


हमे यह भी मालूम होना चाहिए कि आज तक फ़िलिस्तीनी अपनी आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं और जद्दोजहद कर रहे हैं और इस्राईल अपनी भरपूर ज़ालिम शैतानी ताक़त से उनको कुचलता आ रहा है, जब हम अपने घर में पुर सुकून होकर रोज़ा इफ़्तार करते हैं उस वक़्त उसी फ़िलिस्तीन में हज़ारों मुसलमान इस्राईली बमों का निशाना बनते हैं, उनकी इज़्ज़त और नामूस के साथ ज़ुल्म किया जाता है और यह सब आज तक जारी है और इस ज़ुल्म पर सारी दुनिया के मुमालिक ख़ामोश है, क्योंकि इस्राईल को अमरीका और लंदन का साथ मिला हुआ है। 


इस साल दुनिया भर में लॉकडाउन की वजह से नमाज़े जुमा और एहतजाजी रैलियां मुमकिन नहीं है इसलिए इस बार हमें चाहिए कि इस्राईल के ख़िलाफ़ और बैतूल मुक़द्दस के हक़ में अपनी आवाज़ को ऑनलाइन बुलंद करें और जहां तक जितना मुमकिन हो सके मोमिनीन को इसके बारे में बताएं। 


अल्लाह मज़लूमों के हक़ में हम सबकी दुआओं को क़ुबूल फ़रमाएं और ज़ालिमीन को निस्त व नाबूद करें... इंशा अल्लाह।


केंद्रीय मंत्री को ट्विटर पर मदद की अपील करनी पड़ी

 केंद्रीय मंत्री को ट्विटर पर मदद की अपील करनी पड़ी



 उत्तर प्रदेश आपातकालीन हेल्पलाइन और गैर-हेल्पलाइन या सोशल मीडिया से संपर्क करने की सलाह।

 जब ट्विटर पर यह प्रक्रिया दी जाएगी तो आम लोगों का क्या होगा?

 राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था विफल हो रही है।

 प्रबंधन करने में असमर्थ।  

 रिश्तेदार के लिए अस्पताल का बिस्तर पाने के लिए ट्विटर

 वह बीजेपी सांसद भी थे और वहां कैन्द्र मंत्री भी है,

 बेड की मदद के लिए अपील करनी पड़ी है। 

 जेपी सिंह बी जे पी सांसद भी है संसद और केंद्रीय राज्य मंत्री वी।

 कृपया इसे देखें फिर थोड़ी देर बाद देखें

 के सिंह ने रविवार को जेपीने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा

 जिला मजिस्ट्रेट, नाज़ियाबाद आपसे तुरंत बात करते हैं

 कृपया हमारे भाई कोरोना की मदद करें

 चैटिंग

 उपचार के लिए इक बेड की जरूरत होती है

 बाद में सोशल मीडिया पर, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ज़बरदस्त रद्दे अमल किया । लोगों का कहना था कि जब एक केंद्र मंत्री की यह हालत है तो आम जनता की हालत क्या होगी जब एक केंद्र मंत्री को अपने रिश्तेदार के लिए बैठ के लिए ट्विटर पर ट्वीट करना पड़ सकता है तो फिर आम जनता राम भरोसे ही है, जिससे अभाव में दुख भी है और भी है गुस्सा भी है 

 व्यक्त किया है  लोग कहते हैं कि जब आपसे अपनी बात करने के लिए कहा जाता है, भले ही आप केंद्रीय मंत्री हों।  उल्लेखनीय है कि आधार डीएम नाजी हैं

 परिवार ट्विटर पर अपने भाई के लिए एक अस्पताल के बिस्तर पाने के लिए covid बेड का अनुरोध कर रहा है। तुत्सराबाद के हैंडल को उनके हैंडल से टैग किया गया है।

 अगर आपको ट्विटर पर मदद के लिएअपील करना पढ़ रहा है तो है, तो आम लोगों की क्या स्थिति है?  कृपया, अंतिम ट्वीट अगस्त को किया गया था।  यूपी में सामग्री

 आम लोगों का क्या होगा?  किसी ने एक ही जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा, गाजियाबाद या इसकी प्रणाली की पूर्ण विफलता की पृष्ठभूमि

 वीके सिंह के इस ट्वीट से केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ को उनके किसी भी अस्पताल में आराजकता की व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।

 अगर ट्विटर पर अपने भाई के लिए ट्वीट करना पढ़ सकता है के लिए पर्याप्त है, तो चलिए कोशिश करते हैं। VK Nigine Javit क्या अटकलें थीं जिसके बाद VK Gah ने ट्वीट किया

 डीएम नजीबाबाद से किसी ने सवाल किए।  मैंने गाजियाबाद डीएम को लीक किया और लखा को हटा दिया।  बाद में उन्होंने ट्वीट किया

 कुछ लोगों ने अपने कांग्रेस अध्यक्ष और पत्नी से कहा कि कृपया जाँच करें और अपने लेखन को साफ़ करें कि उन्होंने अस्पताल में एक बेड के लिए अनुरोध किया था।

 उन्होंने मुझे दूसरों की मदद के लिए भीख मांगना बंद करने को कहा। मेरा भाई और इलाज के लिए, यह मेरे असली भाई के लिए नहीं, बल्कि किसी और के लिए था।

अगर बीमार हो तो रोज़े के क्या अहकाम है?


ग्यारवे रमज़ानुल मुबारक की दुआ.

            ग्यारवे रमज़ानुल मुबारक की दुआ.
                     ....... या अल्ल्हा.......
मेरे लिए इस दिल अहसान और नेकी को महबूब बना दे.
परवरदिगार मुझे इस दिन मे फस्को फ़ुजूर और गुनाहो से दूर कर दे.
परवरदिगार मुझे पे इस दिन मे अपनी नाराज़गी और आतिशे जहन्नम को हराम कर दे.
अपनी इताअत और मदद से ये फर्यादियो के फ़रयाद रस...


दसवे रमज़ान की दुआ

                 दसवे रमज़ान की दुआ

                       .... या अल्ल्हा....
तू मुझे उस दिन मै अपनी ज़ात पर तवक़्क़ाल करने वालो मे क़रार दे.
मुझे उस दिन मै अपने नज़दीक कामयाब लोगो मे क़रार दे.
मुझे उस दिन मे अपने मुक़र्रब लोगो मे क़रार दे,
अपने अहसान से अये तलब गारो के मक़सदे आखिर 

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