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जम्मू में भयानक सड़क हादसा, 10 लोगों की मौत, 75 घायल, वैष्णु







 

सूत्रों द्वारा बताया गया,,,

वैष्णो देवी जा रहे यात्रियों से भरी बस गहरी खाई में गिरी, घायलों और मरने वालों में ज्यादातर बिहार के लोग तीर्थयात्रियों से भरी बस गहरी खाई में गिरी, ज्यादातर पीड़ित बिहार के रहने वाले हैं.बचाव कार्य शुरू हुआ। शवों और घायलों को स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जबकि गंभीर रूप से घायलों को जम्मू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया। आखिरी रिपोर्ट तक मरने वालों की संख्या 10 हो गई थी, जबकि डॉक्टरों ने कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई है। गणतंत्र की राष्ट्रपति श्रीमती दुरवापदी मुर्मू ने इस त्रासदी को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना पर दुख जताया और प्रशासन को घायलों को इलाज के साथ-साथ सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया. पटना 




बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जम्मू-कश्मीर में बजर कोटली राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप एक बस के खाई में गिरने से हुए हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ने हादसे में बिहार के लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने शोक संतप्त परिवारों को दुख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हादसे में बिहार में रहने वाले मृतकों के परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली के रेजिडेंट कमिश्नर को जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ आवश्यक संपर्क स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि दुर्घटना में घायल लोगों का उचित इलाज और हर संभव सहायता सुनिश्चित की जा सके।




खाई में ही देखा जा सकता है। श्रीनगर हारून ऋषि) जम्मू में मंगलवार सुबह हुए दर्दनाक सड़क हादसे में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए। घटना उस समय हुई जब पंजाब से जम्मू के कटरा आ रही एक बस चालक से नियंत्रण खो बैठा और जम्मू जिले के झज्जर कोई इलाके में झज्जर पुल के नीचे खाई में जा गिरी.बस तीर्थयात्रियों से भरी हुई थी, जो मां टा वैष्णद युवी मंदिर जा रहे थे।मरने वालों में ज्यादातर बिहार के रहने वाले थे।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसे के कुछ मिनट बाद जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की निगरानी में पुलिस, अर्धसैनिक बल और स्थानीय नागरिक राहत देने पहुंचे और

अमरनाथ हादसा 41 लापता श्रद्धालुओं का अब तक कोई पता नहीं,चल पाया है*

अमरनाथ हादसा 41 लापता श्रद्धालुओं का अब तक कोई पता नहीं,चल पाया है,
श्रीनगर: पहलगाम के बाद आज बालटाल के रास्ते भी अमरनाथ यात्रा आरंभ हो सकती है,8 जुलाई को पवित्र गुफा के पास बादल फटने के बाद बाढ़ आ गई थी। हादसे में अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 41 लोगों का अब भी कोई पता नहीं चल पाया है। रेस्क्यू टीम (Rescue Team) तीन दिनों से हादसे वाले इलाके में तलाशी अभियान चला रही है। बता दें कि शुक्रवार (8 जुलाई) को आई तबाही के बाद अमरनाथ यात्रा रोक दी गई थी। अब तीर्थयात्रियों के लिए पहलगाम का मार्ग खोल दिया गया है। बाबा के भक्त पहलगाम और बालटाल के माध्यम से अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं। अभी, एहतियातन बालटाल को बंद रखा गया है। पवित्र अमरनाथ गुफा दक्षिण कश्मीर में 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बता दें कि,अमरनाथ श्राइन बोर्ड, वार्षिक अमरनाथ यात्रा का प्रबंधन करता है।जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा इसके अध्यक्ष हैं।




इस बीच जोखिम वाली जगह पर तीर्थयात्री शिविर लगाने के आरोपों पर राजभवन ने स्पष्टीकरण दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजभवन के प्रवक्ता ने कहा कि पहले आईं आकस्मिक बाढ़ को योजना बनाते समय ध्यान में रखा गया था, किन्तु शुक्रवार का ‘‘सैलाब‘‘ अनुमान से अधिक था और पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया था। प्रवक्ता ने कहा कि नदीतल पर टेंट नहीं लगाए गए और असल में लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें इस साल तैयार किए गए तटबंध से भी दूर ले जाया गया। यह स्षष्टीकरण ऐसे वक़्त में आया है, जब आरोप लग रहे हैं कि बोर्ड ने इस साल गुफा के बाहर नदी के शुष्क तल पर लंगर और टेंट लगाते वक़्त गत वर्ष 28 जुलाई को हुई बादल फटने की घटना की अनदेखी की। सारनाथ में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन कल से होगा

अमरनाथ यात्रा, एक मुस्लिम ने खोजी थी,अमरनाथ गुफा

इस साल सरकार ने सुरक्षा के बेहद कड़े इंतज़ाम किए हैं, जिससे यहां रहने वालों और सैलानियों दोनों को दिक़्क़त हो रही है।घाटी में पहले से ही कड़ी सुरक्षा है, उसके ऊपर अर्द्धसैनिक बलों की 350 अतिरिक्त कंपनियां यात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात की गई हैं। लेकिन मलिक और कई दूसरे कश्मीरियों के लिए सुरक्षा को यात्रा पर हावी नहीं होना चाहिए क्योंकि ये कश्मीर की साझा संस्कृति की एक मिसाल है.
 मलिक परिवार के लिए, बूटा मलिक अब भी श्रद्धेय आत्मा हैं और उनके बारे में कई आध्यात्मिक अनुभव बताते हैं.मलिक परिवार का कहना है कि मौजूदा सुरक्षा नियमों से पहले बहुत से यात्रियों की यात्रा पूरी नहीं होती थी जब तक वो उनके घर न आएं.



गुलाम नबी मलिक बताते हैं कि शायद 70 साल पहले मैं रानी के साथ यात्रा पर गया था, वहां हमने पूजा करवाई थी. रानी ने उन्हें खजूर से भरी एक थाली दी. मलिक अमरनाथ गुफा के साथ अपने परिवार का नाता बयान करते हैं और बताते हैं कि कैसे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच रिश्ते और गहरे हुए, जब साल 1850 में बूटा मलिक ने पवित्र गुफा को ढूंढा जहां क़ुदरती तौर पर बर्फ़ शिवलिंग के रूप में जमी हुई थी. साल 2005 तक मलिक परिवार ही यात्राएं करवाता था लेकिन फिर अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने उस परम्परा को ख़त्म कर दिया.
95 साल के गुलाम नबी मलिक ने 60 साल तक अमरनाथ यात्रा करवाई. उनके पास वो तोहफ़ा भी है जो महाराजा हरि सिंह ने उन्हें पवित्र गुफा में साल 1947 में दिया था.
दो साल बाद अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है. बीते दो साल कोरोना के साये की वजह से ये यात्रा प्रभावित हुई. अब जब ये यात्रा फिर से शुरू हुई है तो हम आपको ऐसी कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो भाईचारे, मोहब्बत, कश्मीरियत और साझा संस्कृति को दिखाती है. पहलगाम के बाटाकोट गांव में 95 साल के गुलाम नबी मलिक वही प्रार्थना करते हैं जो वो अमरनाथ की पवित्र गुफा में किया करते थे. दो साल बाद अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है, इससे उनकी यात्राएं ले जाने की और उनके परिवार की गुफा के साथ पुरानी यादें ताज़ा हो गईं, जो इनके परदादा बूटा मलिक ने खोजी थी.

सर्वदलीय बैठक के विचार से जम्मू-कश्मीर के संगठन गर्म







 यहां तक ​​​​कि जब पार्टियों ने कहा कि वे बैठक में भाग लेने का फैसला करने के लिए आंतरिक रूप से परामर्श करेंगे, स्पष्ट संकेत सामने आए कि वे ऐसा करने के इच्छुक थे क्योंकि वे सभी नई दिल्ली के साथ राजनीतिक जुड़ाव की बहाली के पक्षधर थे

 कॉल प्राप्त करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक और उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी शामिल थे।

 शनिवार को राजधानी में परदे के पीछे की गतिविधि देखी गई, क्योंकि सरकार ने 24 जून गुरुवार की दोपहर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों के बीच बैठक की नींव रखी, अगस्त 2019 के बाद इस तरह की पहली बैठक, जब  केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए कानून और प्रस्ताव पारित किए।


 गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बैठक के एजेंडे को एक साथ रख रहे हैं, इस मामले से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।  हालांकि पार्टियों को औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजे गए थे, लेकिन अधिकांश की पुष्टि गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने की थी।


 शुक्रवार की देर शाम जब बैठक की खबर अचानक आई, तो एचटी को पता चला कि गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल नियमित रूप से पार्टियों तक पहुंच कर इस दिशा में काम कर रहे हैं।  शनिवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के चाचा सरताज मदनी को रिहा कर दिया गया।  मुफ्ती पार्टी की युवा शाखा के प्रमुख वहीद पारा की रिहाई के लिए भी जोर दे रहे हैं।


 

जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए जो भी वादे किये गये हैं उन्हें यथासंभव पूरा किया जायेगाः मनोज सिन्हा

 



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