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औरतो के एहतेजाज मे तेज़ी लाने का एलान. शाहीन बाग़

औरतो के एहतेजाज मे तेज़ी लाने का एलान. शाहीन बाग़




शालीन बाग़ मे मुसलसल हो रहे इस्तेजाज को और मज़बूत करने की इरादा ज़ाहिर किया गया हैं
मुन्तज़िमींन ने कहा हैं हम इस एहतेजाज को और मज़बूत करेंगे और इसे और फैलाएँगे.
इस एहतेजाज मे किसी पलटी या तन्ज़ीन का कोई रूल नहो हैं.
ये एहतेजाज ऐसे ही चलता रहेगा.
और उसे मुल्क़ भर मे फैलाया जाएगा.
ये सिर्फ औरतो का एहतेजाज नहीं हैं बल्कि
मुल्क़ के क़ानून की हिफाज़त और लोगो के हुक़ूक़ का एहतेजाज हैं

ईरान का उप्रगह ज़फ़र लॉंच के लिए तैयार, अमरीका और इस्राईल की चिंता बढ़ी





ईरान की एयरोस्पेस संस्था के प्रमुख का कहना है कि ज़फ़र उपग्रह स्पेस में लॉंच के लिए पूरी तरह से तैयार है।
एयरोस्पस के प्रमुख मुर्तज़ा बरारी ने बताया कि इस उपग्रह को कंट्रोल करने और इसके द्वारा भेजी जाने वाली तस्वीरों को प्राप्त करने के लिए देश में तीन कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।
उन्होंने ज़फ़र उपग्रह को लॉंच करने के चरण तक पहुंचाने के लिए ईरानी वैज्ञानिकों का शुक्रिया अदा किया।
ग़ौरतलब है कि ईरान विश्व के उन गिन-चुने देशों में से एक है, जिसके पास स्पेस तकनीक है और वह स्पेस में उपग्रह भेज रहा है।
बुधवार को ईरान के दूरसंचार मंत्री मोहम्मद जवाद आज़री जाहरुमी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ज़फ़र उपग्रह को 11 फ़रवरी से पहले लॉंच कर दिया जाएगा।
11 फ़रवरी को ईरान में क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 11 फ़रवरी 1979 को ईरानी जनता ने इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में पूर्व तानाशाह की सरकार को उखाड़ फेंका था और इस दिन इस्लामी क्रांति की सफलता का एलान किया गया था।
अमरीका और इस्राईल, ईरान के एयरोस्पेस कार्यक्रम को भी अपने लिए ख़तरा समझते हैं। उनका कहना है कि इससे ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और ईरान अधिक लम्बी दूरी के मिसाइल विकसित कर सकता है। msm

हुसियो के मिज़ाएल हमले मे 83 फौजी हलाक. यमन

हुसियो के मिज़ाएल हमले मे 83 फौजी हलाक. यमन 

हलाकतो की तादात और बढ़ने का अंदेशा. 





यमन मे  एक हमले मे 83 फ़ौजी के मारे जाने की ख़बर हैं और इसकी तस्दीक़ हो चुकी हैं. 
यमनी फौजियो की हलाकत एक मस्जिद पे
गिरने से हुई. 
ये मिज़ाएल हमला 19/जनवरी को अतवार के दिन किया गया ये हमला यमन के वसाति सूबे मआरिब की एक मस्जिद पे किया गया था.  




जनरल क़ासिम सुलैमानी कीशहादत के चार अहम परिणाम


  • जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के चार अहम परिणाम
अमरीका की आतंकवादी सरकार द्वारा आईआरजीसी के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के कुछ अहम और तुरंत परिणाम सामने आए हैं।
  1. शहीद लेफ़्टिनेंट जनरल क़ासिम सुलैमानी और उनके साथियों की आतंकवादी कार्यवाही में हत्या का सबसे पहला परिणाम संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की फ़ज़ीहत और उसकी हैसियत ख़त्म होना है। राष्ट्र संघ के घोषणापत्र की धारा 24 के पहले ही अनुच्छेद के अनुसार विश्व की शांति व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सुरक्षा परिषद पर है। अमरीकी सरकार ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या की है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाख़ारोवा ने कहा है कि अमरीका की यह कार्यवाही, ताक़त के ग़ैर क़ानूनी इस्तेमाल को स्पष्ट करती है। सुरक्षा परिषद ने, जो छोटे से छोटे मामले पर भी बैठक करती है, अमरीका की आतंकी सरकार के इस अपराध पर, कोई भी क़दम नहीं उठाया है जिससे उसकी साख पर बट्टा लग गया है।
  2. अमरीकी सरकार की इस आपराधिक कार्यवाही का एक और अहम परिणाम, आतंकी गुट दाइश को मौक़ा देना है। जनरल सुलैमानी, इस आतंकी गुट से संघर्ष में सबसे आगे थे और सीरिया व इराक़ में इस गुट की पराजय में उन्होंने सबसे अहम रोल निभाया था। दाइश के समाचारपत्र अन्नबा ने अपने संपादकीय में अमरीका की इस आतंकवादी कार्यवाही पर ख़ुशी जताई है।
  3. जनरल सुलैमानी की हत्या का एक और अहम परिणाम, अमरीका की साख को भारी नुक़सान पहुंचना है। एक ओर दुनिया पर राज करने का दावा करने वाली अमरीकी सरकार ने एक आतंकी कार्यवाही की और उसे औपचारिक रूप से स्वीकार भी किया जबकि दूसरी ओर ईरान ने इराक़ में स्थित अमरीका के अहम एयर बेस ऐनुल असद पर मीज़ाइलों की बारिश करके आतंकी अमरीकी सरकार के अपराध का कड़ा जवाब दिया। इन दोनों घटनाओं से क्षेत्रीय स्तर पर भी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अमरीका की साख पर बट्टा लगा है। फ़िलिस्तीनी टीकाकार वासिफ़ अरीक़ात का कहना है कि अमरीकी छावनी पर ईरान का मीज़ाइल हमला बड़ा मूल्यवान था क्योंकि ठीक उसी स्थान को निशाना बनाया गया जहां से उड़ने वाले ड्रोन ने जनरल सुलैमानी की हत्या की थी। ऐनुल असद एयरबेस, क्षेत्रफल के हिसाब से अमरीका का दूसरा बड़ा एयरबेस है और इसमें 5000 अमरीकी सैनिक रह सकते हैं। यह एयरबेस अत्यंत विकसित रडारों व सुरक्षा उपकरणों से लैस है लेकिन ये रडार ईरानी मीज़ाइलों का पता न लगा सके। यह अमरीका के लिए दूसरा कड़ा झटका है जो अपने एयर डिफ़ेंस और रडार सिस्टम पर घमंड करता है। इस वार के बाद क्षेत्र में अमरीका की हैसियत ख़त्म हो गई है और यह चीज़ अमरीकी सैनिकों के मारे जाने से भी ज़्यादा अहम है। अमरीका, ख़ुद को पहुंचने वाले नुक़सान को खुल कर नहीं मानेगा लेकिन ऐनुल असद एयरबेस के डिफ़ेंस सिस्टम, ड्रोन और अन्य अहम प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुंचा है।
  4. जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या का चौथा अहम परिणाम, ईरान की प्रतिरोधक शक्ति का सिद्ध होना और क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे का कमज़ोर पड़ना है। ईरान के एक टीकाकार सैयद जलाल दहक़ानी कहते हैं कि जनरल सुलैमानी की हत्या ने क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे को कमज़ोर बना दिया है और क्षेत्र से अमरीका के निकलने का रास्ता खोल दिया है क्योंकि अमरीका के अंदर से ट्रम्प पर इराक़ व सीरिया से बाहर निकलने के लिए भारी दबाव है। उन्होंने अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव के अभियानों में भी इस बात का वादा किया था कि वे मध्यपूर्व से अमरीकी सेना को वापस बुलाएंगे। (HN

कासिम सुलैमानी और मोहनदीस की शहादत रायगा नहीं जाएगाी. मौलाना क़ाज़ी सय्यद बाक़िर मेंहदी

कासिम सुलैमानी और मोहनदीस की शहादत रायगा नहीं जाएगाी. मौलाना क़ाज़ी सय्यद बाक़िर मेंहदी. 



कजगांव सादात मासून्दा के इमाम जुमा 
और पानदरीबा मीरघर के रूहे रावा. 
क़ाज़ी सय्यद बाक़िर मेंहदी ने कहा की कासिम सुलैमानी और मुहान्दिस की सहादत ज़रूर रंग लाएगी क्यों की शहीद का ख़ून रायगा नहीं जाता है और इंशाअल्लाह अमेरिका के इस आतंगवादी हमले ने ये साबित कर दिया है की वोह खुला आतंगवादी है. जिसने isis से इराक की आज़ादी दिलाई और आतंगवादी के लिए दर्दे सीर थे उसी को धोके के शहीद कर देना एक बुज़दिलाना अमल है जो काइरो की अलामत है. 
और इंशाअल्लाह दुनया देखेगी की शैतान बुज़ुर्ग अपने इंजाम को ज़रूर पहुंचेगा.. 

अगर आयतुल्ल्हा सिस्तानी ना होते तो इराक की आज़ादी ना मुमकिन थी. हशदुश शअबी

अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाबी आतंकवाद और आतंकी संगठन आईएसआईएस पर जीत की दूसरी वर्षगांठ मना रहे इराक की शक्तिशाली स्वंयसेवी सेना और आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में प्रभावी भूमिका निभाने वाली हश्दुश शअबी के उपप्रमुख ने कहा कि अगर मरजईयत न होती तो देश शत्रुओं के हाथों में पड़ जाता।

हश्दुश शअबी के उप प्रमुख अबू महदी मोहंदिस ने कहा कि अगर मरजईयत न होती तो देश पर बेगानों का क़ब्ज़ा होता, अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

अबू महदी ने कहा कि अगर आईएसआईएस के विरुद्ध फतवा न आया होता तो हम दाइश को पराजित करने में सफल न होते और आज यह जीत का समारोह न मना रहे होते ।

इराक के भूतपूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल मालेकी ने एक अन्य समारोह में कहा कि मरजईयत के फतवे और देश की जनता के बलिदान ने इराक को विभाजित करने की साज़िश पर पानी फेर दिया और दाइश जैसे फ़ितने को ख़त्म कर दिया

अगर आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा न आया होता तो इराक को आज़ाद कराना संभव नहीं था देश पर दूसरों का क़ब्ज़ा होता और हम इराक का परचम लहराने में सक्षम न होते ।

सीरियन सेना के बढ़ते क़दम, दक्षिणी इदलिब के क्षेत्रों को अल क़ायदा से मुक्त कराया


सीरियन सेना के बढ़ते क़दम, दक्षिणी इदलिब के क्षेत्रों को अल क़ायदा से मुक्त कराया

रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने आतंकी गुटों के खिलाफ सैन्य अभियान को तेज़ करते हुए मिशरफा क्षेत्र में मौजूद वहाबी आतंकी गुटों के सैन्य साज़ो सामान को नष्ट करते हुए आतंकियों को पीछे भागने पर मजबूर कर दिया ।
विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाबी आतंकी संगठनों के विरुद्ध संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए सीरियन सेना ने अमेरिका, इस्राईल, सऊदी तथा तुर्की समर्थित आतंकी गुट अल क़ायदा को दक्षिणी इदलिब के मिशरफा क्षेत्र से मार भगाया है।
रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने आतंकी गुटों के खिलाफ सैन्य अभियान को तेज़ करते हुए मिशरफा क्षेत्र में मौजूद वहाबी आतंकी गुटों के सैन्य साज़ो सामान को नष्ट करते हुए आतंकियों को पीछे भागने पर मजबूर कर दिया ।
रिपोर्ट के अनुसार सीरियन सेना ने मिशरफा क्षेत्र को आतंकियों से आज़ाद कराने के बाद इदलिब के अन्य क्षेत्रों की ओर क़दम बढ़ा दिए हैं सीरियन सेना एयरफोर्स की सहायता के साथ इदलिब के ने क्षेत्रों को आज़ाद कराने के लिए अभियान चलाये हुए है

हज़रत इमाम मेंहदी आ स और क़ुरान. (उलमाये अहले सुन्नत )बाबे 1

हज़रत इमामे मेंहदी अ  स और उलमाये अहले सुन्नत 
रवायत नो 1 जनाबे सईद इब्ने जबीर ने आये करीमा. (लेयुज़हेरा अलाद्दीने कुल्लेही वालो व्लो करेहल मुशरेक़ून )
"ताकि उसे तमाम (दीनो )पर ग़ालिब करें अगर चे मुशरेक़ीन बुरा ही क्यों ना माने .
जनाब शेख सलमानी कंद वाज़ी हनफ़ी (वफ़ात 1293 हिजरी )ने अपनी गरह क़द्र किताब यानबिउल मुवाददाता का 71 वाह बाब इन आयेतो से मख़सूस किया है जिसकी तवीलो तफ़्सीर hazryहज़रत इमामे मेंहदी अ स से की जाती है. 

हज़रत इमामे मेहदी आ स और उलमाये अहलेसुन्नत

                                               हज़रत इमामे मेहदी आ स और उलमाये अहलें सुन्नत
 
हर ज़माने का एक इमाम है ये सारा ज़माना जानता है मगर इस मसले में  कुछ लोग 
ताविलात का सहारा लेते है और मुबागले से काम चालते है
जिसमे कुछ लोग इमाम से मुराद क़ुरान लेते है जबकि क़ुरान किसिम इक ज़माने  नहीं है जिसकी तरफ क़ुरान ने खुद इशारा किया है 
क़ुरान अहमियति इमाम के मुतलक़ फरमाता है की 
[  يوم ندعو ا كل أناس با مامهم ] जिस दिन हम हर इक को  इसके इमाम के साथ आवाज़ देंगे देंगे [बनी इसयाएल ७१ ]
हज़रत रसूले खुदा की इक निहायत ही मशूरो मारूफ हदीस है  इंदाज़  सुन्नी मुहद्देसीन ने नक़ल  किया है 
[जो शख्श अपने इमामइ वक़्त की मार्फत के बगैर मर जाइये तो इसकी मौत जाहिलियत की है ]
आयऐ और हदीस पर गोर करने  से  बात बिलकुल वाज़े हो जाती है की हर  ज़माने में  मख्सूस इमाम है जिसकी मारेफ़त वाजिब है और   साथ लोग महशूर होओगे। 
इस वक़्त हमारे ज़माने का इमाम कौन है ?
जिसकी मारेफ़त ज़रूरी व लाजज़मी है ता की हम जाहिलियत की मौत न मरे। 
हज़रत  रसूले खुदा स आ ने इमाम मेहदी ा स को आखरी ज़माने कला इमाम क़रार दिया है 
आप इसी हिदायत की आखरी कड़ी हैंजिसकी इब्तेदा हज़रत इमाम अली आ स इब्ने अबी तालिब से हुई
हज़रत रसूले खुदा ने अरशाद
 फ़रमाया की 'मेरे बाद बारह इमाम होओगे जो सब के सब क़ुरैश से हुन्गे।;
ये बारह की दाताद इसी सिलसिले आशना आशरी पर मंताबिक़ होती है जिसकी इब्तेदा हज़रत अली ा स और इन्तहा इमाम मोहम्मद मेहदी ा स हैं /
जारी। 


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