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यूरोपीय संघ / 150 सांसद नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए, भारत ने कहा- यह हमारा आंतरिक मामला

यूरोपीय संघ / 150 सांसद नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए, भारत ने कहा- यह हमारा आंतरिक मामला






  • यूरोपीय संघ के सांसदों ने सीएए के खिलाफ 5 पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया, धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया
  • सांसदों ने कहा कि नया कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन करता है

लंदन. यूरोपियन पार्लियामेंट (यूरोपीय संसद) के 150 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तैयार प्रस्ताव किया है। इसमें कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है। इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानि बिना नागरिकता के हो जाएंगे। उनका कोई देश नहीं रह जाएगा। सांसदों की तरफ से तैयार पांच पन्नों के प्रस्ताव कहा गया कि इसे लागू करना दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है। इस पर भारत ने कहा कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है।
सीएए संबंधीप्रस्ताव पर बहस होने से पहले सरकार के सूत्रों ने कहा है कियूरोपीय संसदको लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए सांसदों के अधिकारों पर सवाल खड़े करने वाली कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इधर, भारत आए यूरोपीय संघ के सदस्यों ने कहा- यूरोपीय संसद एक स्वतंत्र संस्था है। काम और बहस के मामले में इसे स्वायत्तता हासिल है। सीएए पर प्रस्ताव का मसौदा संसद के राजनीतिक समूहों ने तैयार किया है।
‘नागरिकता कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ’
सांसदों ने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि भारत सरकार द्वारा लाया गया यह कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। यह कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है। ऐसा करना मानवाधिकार और राजनीतिक संधियों की भी अवमानना है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का भी उल्लंघन बताया गया, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बुधवार को बहस होगी। इसके एक दिन बाद वोटिंग की जाएगी।

सांसदों का आरोप- भारत सरकार ने विरोध में उठी आवाज दबाई
यूरोपीय सांसदों के इस प्रस्ताव में भारत सरकार पर भेदभाव, उत्पीड़न और विरोध में उठी आवाजों को चुप कराने का आरोप लगाया गया है। वहीं, इसमें कहा गया कि नए कानून से भारत में मुस्लिमों की नागरिकता छीनने का कानूनी आधार तैयार हो जाएगा। साथ ही, नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर सीएए कई मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित कर सकता है। सांसदों ने यूरोपीय संघ से इस मामले में दखल देने की मांग भी की।

अभी तो एक तमाचा मारा गया है, असली बदला अभी भी बचा है: नेता नेता अयातुल्ला अली खामेनेई

अभी तो एक  तमाचा  मारा गया है, असली बदला अभी भी बचा है: 
नेता अयातुल्ला अली खामेनेई 










ने संकेत दिया कि कल रात संयुक्त राज्य अमेरिका के पास केवल एक गोला-बारूद था, असली बदला लेने के लिए, यह कहते हुए कि शहीद सुलेमानी ने पश्चिम एशिया में सभी अमेरिकी अवैध परियोजनाओं को विफल कर दिया।
केए की स्थापना की सालगिरह पर हजारों लोगों ने कौएद के नेता के साथ मुलाकात की, रहमत आजम ने बैठक के दौरान शहीद कासिम सलमानी का जिक्र करते हुए कहा कि आजकल हमें उठना पड़ता है उन्होंने कहा कि इस शहीद के बारे में बहुत कुछ कहा जा रहा है जो सच्चे भगवान से मिलने जा रहा है, और महान चीजें चल रही हैं। प्रैक्टिकल भी जानता था, कुछ लोग शर्मीले हैं, लेकिन उनके पास कोई रणनीति नहीं है, कुछ लोग रणनीति जानते हैं। लेकिन वे शर्मीले नहीं हैं और अपनी रणनीति को अमल में नहीं ला सकते,नेता अयातुल्ला खामेनी ने आगे कहा कि शहीद सुलेमानी एक साहस और रणनीति के मॉडल थे, उन्हें पता था कि बंदूक कहाँ चलाना है और कहाँ नहीं चलाना है जबकि ये चीजें आमतौर पर लड़ाई में छूट नहीं जाती हैं, वे केवल युद्ध के मैदान हैं। न केवल राजनीति के क्षेत्र में बल्कि राजनीति के क्षेत्र में भी, रहबर-ए-आज़म ने शहीद सुलेमानी की व्यक्तिगत विशेषताओं का उल्लेख किया और कहा कि वह हमेशा शरीयत के धर्म और नियमों का पालन करते थे और अपने कार्यों में बहुत ईमानदार थे। वे तर्कसंगत और दिखावा करते थे, वे हमेशा किसी के अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश करते थे। चाहे वह युद्ध हो, युद्ध हो या कोई अन्य स्था
वे स्वयं शत्रु के मैदान में चले गए, लेकिन दूसरों के जीवन की रक्षा कर रहे थे; अमेरिकियों ने फिलिस्तीन पर योजना बनाई ताकि फिलिस्तीनियों ने ज़ायोनियों को पत्थर मारा, लेकिन वे इसके साथ आने से डरते थे। हज कासिम वह था जिसने फिलिस्तीनियों की इतनी मदद की कि उन्हें ज़ायोनी गाजा जैसे छोटे से इलाके में मुजाहिदीन के सामने घुटने टेकने को मजबूर होना पड़ा और 48 घंटे बाद युद्ध विराम के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनकी शहादत ने सोए हुए विवेक को अप्रभावित छोड़ दिया था और यह इराक से ईरान तक इस तरह का था। की तशियीि अंतिम संस्कार हुआ कि दुश्मन उंगली ब दंत रह गया

अप्रैल फूल की हमारी ज़िन्दगी में क्या अहमियत है ?

                                        अप्रैल फूल की हमारी ज़िन्दगी में क्या अहमियत है ?
आज के दौर में जब हमारे पास नाइक काम करने का बिलकुल मुक़ा नहीं होता ऐसे  वक़्त में हम हसी मज़ाक में गुनाहे कबीरा के मुस्तहक़ हो जाते है। ऐसे में आज हमारे समाज में जिस बीमारी की वबा फैली है जिसमे हम सब जकड़े है उसे हम झूट कहते है जिसके बारे में क़ुरान का खुला ऐलान है। झुटो पे अल्ल्हा की लानत फिर बी हम हस्ते खिलते इस गुनाह को इंजाम देते है और हमारे चहरे पे शिकन तक नहीं आती  है ये अफ़सोस की बात की हम अल्ल्हा किम लानत के मुस्तहक़ हो गये। झूट से न सिर्फ इंसान लानत का मुस्तहक़ होता है बल्कि लोगो के जज़्बात से खिलवाड़ किया है और आज हमने उसी का नाम अप्रैल फूल आँख दिया ये हमारे दुश्मनो की इक शाजिश थी जिसमे आज ही के दिन सैकड़ो मुसलमान मौत के घाट उतर दिए  से इसे इक जश्न की तरह मनाया जाता है [हमें किये की हम अपने समाज से इन बीमारियो को निकाल दे और अल्ल्हा की लानत के मुस्तहक़ न बने 

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