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इमरान ख़ान का ज़ुल्म

 


नई दिल्ली: इमरान खान के पाकिस्तान में हिंदुओं और इसाईयों पर जुल्म-ओ-ज्यादती तो आम है मगर अब वहां की हुकूमत मुसलमानों के भी खून की प्यासी हो गई है। फर्क बस इतना है कि ये मुसलमान दूसरे मजहबों की तरह अल्पसंख्यक हैं। सुन्नी बाहुल पाकिस्तान में शिया संप्रदाय के मुसलमानों पर भी जुल्म की इंतेहा हो गई है। अगर ऐसे ही सबकुछ चलता रहा तो अगले कुछ सालों में पाकिस्तान में शिया की आबादी हो जाएगी शून्य।

शिया समुदाय के खिलाफ पाकिस्तान के नफरती सौदागर लगातार ज़हर उगल रहे हैं। ज़हर की पाकिस्तान की पाक जमीन से काफिर शियाओं का सफाया करो। ज़हर की शियाओं को चुन-चुनकर इस मुल्क से हमेशा के लिए मिटा डालो और ज़हर की शियाओं पर इतना जुल्म ढाओ की वो हमेशा-हमेशा के लिए पाकिस्तान छोड़कर चले जाएं।  

ऐसा नहीं कि शिया समुदाय के खिलाफ पाकिस्तान में अचानक से ये नफरत की आग भड़की है। यहां से शियाओं को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा डालने की साजिश कई साल पहले रची गई। पाकिस्तान की हुकूमत से लेकर बड़े-बड़े हुक्मरान इस साजिश का हिस्सा रहे और आजकल इस नफरत की आग को ज्यादा से ज्यादा फैलाने की जिम्मेदारी जिसने उठा रखी है। उसका नाम है सिपाह-ए-सहाबा।

सिपाह ए सहाबा एक आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान से शियाओं का वजूद हमेशा-हमेशा के लिए मिटा डालना चाहता है। शुक्रवार को कराची में जो रैली निकाली गई। उसके पीछे भी इसी का हाथ बताया जा रहा है। सिपाह ए सहाबा के नेताओं ने मंच से गैर शियाओं को भड़काने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 

पाकिस्तान के शिया मुसलमानओं को अब कुछ नजर नहीं आता या तो सामने सिर्फ घुप्प अंधेरा नजर आता है या फिर नजर आता है। अपनों का वो खून जो जाने कब, कहां और किस दिन किस सड़क पर बहता नजर आए। इनमें से कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं जिनकी सालोंसाल तक कोई खबर नहीं आती। हुसैन अहमद हुसैनी भी उन्हीं में से एक है। 

साल 2016 में पाकिस्तान पुलिस ने बिना किसी गुनाह के उसे घर से उठाया था लेकिन आज तक वो अपने घर वापस नहीं लौटा। हुसैन की बूढ़ी मां को आज भी अपने जिगर के टुकड़े का इंतजार है। हुसैन की बूढ़ी मां का कहना है कि मेरे तो पहले घर का ताज छिन लिया। क्या बताऊं मैं। पहले शौहर को कत्ल कर दिया। ये जुल्म नहीं तो क्या है कि घर से सोते हुए लोगों को ले जाते हैं और फिर उनको ऐसा मुजरिम बना देते हैं कि कुछ नहीं पता।

जो दर्द हुसैन की मां का है वही आंसू जाहिद हैदर की बीवी और उनके बच्चों की है। जाहिद को भी 2016 में पुलिस ने बिना किसी वजह के घर से गिरफ्तार किया था मगर आज तक ये पता नहीं चल पाया कि वो आखिर है तो है कहां ? उनका कहना है कि मेरे शौहर को दिसंबर 2016 में उठाया था, लेकिन आज तक उनका पता नहीं है कहीं पर भी।  मैंने पिटीशन भी लगाई थी मगर वो भी खत्म कर दी है। कुछ बता ही नहीं रहे। कोर्ट जाते हैं, वहां से कुछ पता नहीं चलता।

ये डर पाकिस्तान के हर शिया मुसलमान का है क्योंकि जैसे हालात हैं और जैसी पाकिस्तानी कट्टरपंथियों मौलानाओं की तकरीरें हैं और जैसे मजहबी जहर पाकिस्तान की नसों घुल गया है उससे ये लगने लगा है कि अब पाकिस्तान में हिंदू, सिक्ख, इसाई के बाद शिया मुसलमानों का पूरी तरह से सफाया होगा।  

इमरान खान को चैलेंजे देकर, बाजवा की बुजदिल फौजियों के दम से शियाओं का कत्लेआम कर रही हैं। सुन्नी दहशतगर्द जिसमें पाकिस्तानी फौजियों की पूरी मदद मिल रही है। ठीक जनरल जिया के जमाने में जैसा हुआ और जैसे बरसों होता आया। अब एक बार फिर पाकिस्तान में कुछ वैसा ही शुरु हो गया है। 

बीते एक महीने में पाकिस्तान में ईशनिंदा के 42 मामले दर्ज किए गए। इनमें ज्यादातर लोग शिया समुदाय के हैं। इनपर पैगंबर मुहम्मद के अपमान का आरोप लगाया गया। पाकिस्तानी पेनल कोड के 295-A और 298 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। शियाओं के साथ अहमदिया और ईसाई समुदाय के लोगों को भी आरोपी बनाया गया।

शियाओं के साथ पाकिस्तान में जैसा सलूक होता है  जितनी बेरहमी की जाती है जितने अत्याचार होते हैं उसे देख किसी का भी दिल दहल जाएगा। पाकिस्तान शिया मुसलमानों के लिए कब्रगाह है। पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुसलमान सुन्नी हैं। पाकिस्तान की तकरीबन 20 करोड़ की आबादी में लगभग 20 फीसदी हिस्सा शिया मुसलमानों का है। लेकिन पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां शिया समुदाय के लोगों को गायब कर रही है और शियाओं की आबादी लगातार कम होती जा रही है। 

पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता राशिद रिजवी की मानें तो पाकिस्तान की सरकार और खुफिया ऐसे शिया पर खास नज़र रखती है जो जियारत के लिए पाकिस्तान जाते हैं। जब ये लोग कर्बला से वापस आते हैं तो पुलिस उन्हें गायब कर देती है। 

पाकिस्तान के तकरीबन 20 लाख पाकिस्तानी अलग-अगल शहरों से कर्बला जियारत करने के लिए जाते हैं। अब ये पूरी कन्युनिटी के अंदर खौफ पैदा कर रहे हैं कि वापस लौटेगे तो लापता कर देंगे। ऐसा भी नहीं कि इमरान खान और उसकी सरकार को शिया मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादती का इल्म नहीं। इमरान खान बाखबर हैं लेकिन लाचार हैं। सत्ता का सुख छिन जाएगा वरना जो वादा उन्होंने चुनावों से पहले किया था उस पर अमल जरूर करते। 

हामीद मीर, पत्रकार का कहना है कि चीफ जस्टिस ने कहा है सुप्रीम कोर्ट में कि काले शीशे वाली गाड़ियां आती है और लोगों को गायब कर देती हैं और फिर उनकी लाशें मिलती हैं। क्या आप ये रोकेंगे सब ?

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान खान अपनी चुनावी रैली में अक्सर कहा करते थे कि ये जो हम कर रहे हैं, हमारे लोगों ने जो किया या हमारी एजेंसी ने जो किया। मैं आपको गांरटी देते हैं कि अगर तहरीक-ए-इंसाफ पावर में आई अगर एजेंसी ने किसी इंसान को उठाया तो आप समझिए की मैं रिजाइन करने के लिए तैयार हो जाउंगा। या फिर हम उनको कठघरे में खड़ा करेंगे। मगर सत्ता में आते ही इमरान खान भी दूसरे हुकमरानों की तरह ही शियाओं के खून के प्यासे हो गए। आज सुन्नी दहशतगर्द अपने मंसूबों में कामयाब होने के लिए सारे जतन कर रहे हैं और इमरान खान चुप-चाप तमाशा देख रहे हैं।

कोविड19 की हक़ीकत

 *इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसनें एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी  (पोस्टमार्टम) किया और एक व्यापक जाँच करने के बाद पता लगाया है कि वायरस के रूप में कोविड-19 मौजूद नहीं है, बल्कि यह सब एक बहुत बड़ा ग्लोबल घोटाला है। लोग असल में "ऐमप्लीफाईड ग्लोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन (ज़हर)" के कारण मर रहे हैं।*


इटली के डॉक्टरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कानून का उल्लंघन किया है,जो कि करोना वायरस से मरने वाले लोगों के मृत शरीर पर आटोप्सी (पोस्टमार्टम) करने की आज्ञा नहीं देता ताकि किसी तरह की वैज्ञानिक खोज व पड़ताल के बाद ये पता ना लगाया जा सके कि यह एक वायरस नहीं है,बल्कि एक बैक्टीरिया है जो मौत का कारण बनता है, जिस की वजह से नसों में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं यानि इस बैक्टीरिया के कारण ख़ून नसों व नाड़ियों में जम जाता है और यही मरीज़ की मौत का कारण बन जाता है।


इटली ने इस वायरस को हराया है,ओर कहा है कि  "फैलीआ-इंट्रावासकूलर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के इलावा और कुछ नहीं है और इस का मुक़ाबला करने का तरीका आर्थात इलाज़ यह बताया है........

*ऐंटीबायोटिकस* (Antibiotics tablets}

*ऐंटी-इंनफ्लेमटरी* ( Anti-inflamentry) और

*ऐंटीकोआगूलैटस* ( Aspirin) को लेने से यह ठीक हो जाता है।

ओर यह संकेत करते हुए कि इस बीमारी का इलाज़ सम्भव है ,विश्व के लिए यह संनसनीख़ेज़  ख़बर इटालियन डाक्टरों द्वारा  कोविड-19 वायरस से मृत लाशों की आटोप्सीज़ (पोस्टमार्टम) कर तैयार की गई है। कुछ और इतालवी वैज्ञानिकों के अनुसार वेन्टीलेटर्स और इंसैसिव केयर यूनिट (ICU) की कभी ज़रूरत ही नहीं थी। इस के लिए इटली में अब नए शीरे से प्रोटोकॉल जारी किए गए है ।

CHINA इसके बारे में पहले से ही जानता था मगर इसकी रिपोर्ट कभी किसी के सामने उसने सार्वजनिक नहीं की । 

कृपया इस जानकारी को अपने सारे परिवार,पड़ोसियों, जानकारों,मित्रों,सहकर्मीओं को साझा करें ताकि वो कोविड-19 के डर से बाहर निकल सकें ओर उनकी यह समझ मे आये कि यह वायरस बिल्कुल नहीं है बल्कि एक बैक्टीरिया मात्र है जो 5G रेडियेशन के कारण उन लोगो को नुकसान पहुँचा रहा है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है । यह रेडियेशन इंफलामेशन और हाईपौकसीया भी पैदा करता है। जो लोग भी इस की जद में आ जायें उन्हें  *Asprin-100mg* और *ऐप्रोनिकस या पैरासिटामोल 650mg* लेनी चाहिए । क्यों...??? ....क्योंकि यह सामने आया है कि कोविड-19 ख़ून को जमा देता है जिससे व्यक्ति को थ्रोमोबसिस पैदा होता है और जिसके कारण ख़ून नसों में जम जाता है और इस कारण दिमाग, दिल व फेफड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जिसके कारण से व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और सांस ना आने के कारण व्यक्ति की तेज़ी से मौत हो जाती है।

इटली के डॉक्टर्स ने WHO के प्रोटोकॉल को नहीं माना और उन लाशों पर आटोप्सीज़ किया जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई थी। डॉक्टरों ने उन लाशो की भुजाओं,टांगों ओर शरीर के दूसरे हिस्सों को खोल कर सही से देखने व परखने के बाद महसूस किया कि ख़ून की नस-नाड़ियां फैली हुई हैं और नसें थ्रोम्बी से भरी हुई थी,जो ख़ून को आमतौर पर बहने से रोकती है और आकसीजन के शरीर में प्रवाह को भी कम करती है जिस कारण रोगी की मौत हो जाती है।इस रिसर्च को जान लेने के बाद इटली के स्वास्थ्य-मंत्रालय ने तुरंत कोविड-19 के इलाज़ प्रोटोकॉल को बदल दिया और अपने पोज़िटिव मरीज़ो को एस्पिरिन 100mg और एंप्रोमैकस देना शुरू कर दिया। जिससे मरीज़ ठीक होने लगे और उनकी सेहत में सुधार नज़र आने लगा। इटली स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ही दिन में 14000 से भी ज्यादा मरीज़ों की छुट्टी कर दी और उन्हें अपने अपने घरों को भेज दिया।

*स्रोत: इटली स्वास्थ्य मंत्रालय*


سورةالمائدہ تفسیرالقرآن۔پوسٹ#140

 تفسیرالقرآن۔پوسٹ#140


*سورةالمائدہ*

●﷽●

*اِنَّ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا لَوۡ اَنَّ لَہُمۡ مَّا فِی الۡاَرۡضِ جَمِیۡعًا وَّ مِثۡلَہٗ مَعَہٗ لِیَفۡتَدُوۡا بِہٖ مِنۡ عَذَابِ یَوۡمِ الۡقِیٰمَۃِ مَا تُقُبِّلَ مِنۡہُمۡ ۚ وَ لَہُمۡ عَذَابٌ اَلِیۡمٌ﴿۳۶﴾*


۳۶۔ جو لوگ کافر ہو گئے ہیں اگر ان کے پاس زمین کے تمام خزانے ہوں اور اسی کے برابر مزید بھی ہوں اور وہ یہ سب کچھ روز قیامت کے عذاب کے بدلے میں فدیہ میں دینا چاہیں تو بھی ان سے قبول نہیں کیا جائے گا اور ان کے لیے دردناک عذاب ہو گا۔


36۔ یعنی اگر تقویٰ نہ ہو اور وسیلہ کی تلاش بھی نہ ہو اورجہاد بھی نہ ہو تو عذاب عظیم سے بچنے کی کوئی اور صورت نہیں ہے۔ سب سے زیادہ متبادل حل یہ ہو سکتا ہے کہ تقویٰ اور وسیلہ کی جگہ پوری دنیا کی دولت اس کے پاس ہو اور اس مقدار کی مزید دولت اس کے پاس آ جائے جس کے ذریعہ وہ عذاب کو ٹالنے کی کوشش کرے تو بھی ممکن نہیں ہے۔


*یُرِیۡدُوۡنَ اَنۡ یَّخۡرُجُوۡا مِنَ النَّارِ وَ مَا ہُمۡ بِخٰرِجِیۡنَ مِنۡہَا ۫ وَ لَہُمۡ عَذَابٌ مُّقِیۡمٌ﴿۳۷﴾*


۳۷۔وہ آتش جہنم سے نکلنا چاہیں گے لیکن وہ اس سے نکل نہ سکیں گے اور ان کے لیے ہمیشہ کا عذاب ہے ۔


*وَ السَّارِقُ وَ السَّارِقَۃُ فَاقۡطَعُوۡۤا اَیۡدِیَہُمَا جَزَآءًۢ بِمَا کَسَبَا نَکَالًا مِّنَ اللّٰہِ ؕ وَ اللّٰہُ عَزِیۡزٌ حَکِیۡمٌ﴿۳۸﴾*


۳۸۔ اور چوری کرنے والا مرد اور چوری کرنے والی عورت دونوں کے ہاتھ کاٹ دو، ان کی کرتوت کے بدلے اللہ کی طرف سے سزا کے طور پر اور اللہ بڑا غالب آنے والا، حکمت والا ہے۔


38۔حدیث ہے: حرمۃ مال المسلم کحرمۃ دمہ (بحار الانوار 29:407) مال مسلم کو وہی حرمت حاصل ہے جو خون مسلم کو ہے۔ چنانچہ اسلام نے جان و مال کے تحفظ کے لیے قانون وضع کیے۔ چور کے ہاتھ کاٹنے کے لیے درج ذیل شرائط کا ہونا ضروری ہے: 1۔ چوری قحط اور بھوک کی وجہ سے نہ ہو۔ 2۔ چوری محفوظ جگہ سے کی گئی ہو۔ 3۔ چوری کرنے والا عاقل ہو۔ 4۔ بالغ ہو۔ 5۔ مال غلط فہمی کی بنا پر نہ اٹھایا گیا ہو۔ 6۔ مال مشترکہ نہ ہو۔ 7۔ باپ بیٹے کا مال نہ ہو۔ 8۔ اعلانیہ طور پر نہ اٹھایا گیا ہو۔ جس مالی نصاب پر ہاتھ کاٹا جاتا ہے وہ فقہ جعفری کے مطابق ایک چوتھائی دینار ہے۔ امام مالک، شافعی اور حنبل کا بھی یہی نظریہ ہے۔ فقہ جعفری کے مطابق چار انگلیاں جڑ سے کاٹی جائیں گی، جبکہ اہل سنت کے نزدیک ہاتھ کلائی سے کاٹا جاتا ہے۔ اصمعی اس آیت کے ذیل میں لکھتے ہیں: میں نے اس آیت کی تلاوت کرتے ہوئے غفور رحیم پڑھ دیا تو ایک عرب بدو نے کہا کہ یہ کس کا کلام ہے؟ میں نے کہا اللہ کا۔ بولا: پھر پڑھو۔ میں نے پھر غَفُوۡرٌ رَّحِیۡمٌ پڑھا۔ پھر میں متوجہ ہوا کہ غلط پڑھ رہا ہوں اور جب میں نے پڑھا: وَ اللّٰہُ عَزِیۡزٌ حَکِیۡمٌ تو بدو نے کہا: اب درست پڑھا ہے۔ میں نے پوچھا: تم نے کیسے سمجھا؟ کہا : اللہ عزیز و حکیم ہے تو ہاتھ کاٹنے کا حکم دیا۔ اگر غفور و رحیم کا ذکر آتا تو ہاتھ کاٹنے کا حکم نہ دیتا۔ ایک بدو بھی جانتا ہے کہ اللہ کی حکمت و قہاریت کے تقاضے اور ہیں جبکہ مغفرت و رحمت کے تقاضے اور۔ مغربی دنیا والے اپنے مفادات کے لیے دنیا میں لاکھوں انسانوں کا سینہ چھلنی کر دیتے ہیں اور ہاتھ کاٹنے کی سزا کو غیر انسانی کہتے ہیں۔ اس سزا سے بیشمار لوگ ناقص العضو نہیں ہوں گے، کیونکہ تاریخ اسلام میں اسلامی حکومت کی چار صدیوں میں صرف چھ بار ہاتھ کاٹنے کی نوبت آئی ہے۔ (قاموس قرآن)


*فَمَنۡ تَابَ مِنۡۢ بَعۡدِ ظُلۡمِہٖ وَ اَصۡلَحَ فَاِنَّ اللّٰہَ یَتُوۡبُ عَلَیۡہِ ؕ اِنَّ اللّٰہَ غَفُوۡرٌ رَّحِیۡمٌ﴿۳۹﴾*


۳۹۔ پس جو شخص اپنی زیادتی کے بعد توبہ کر لے اور اصلاح کر لے تو اللہ یقینا اس کی توبہ قبول کرے گا، بے شک اللہ بڑا بخشنے والا، مہربان ہے۔


*اَلَمۡ تَعۡلَمۡ اَنَّ اللّٰہَ لَہٗ مُلۡکُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ ؕ یُعَذِّبُ مَنۡ یَّشَآءُ وَ یَغۡفِرُ لِمَنۡ یَّشَآءُ ؕ وَ اللّٰہُ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ قَدِیۡرٌ﴿۴۰﴾*


۴۰۔ کیا تجھے علم نہیں کہ آسمانوں اور زمین میں سلطنت اللہ کے لیے ہے؟ وہ جسے چاہے عذاب دیتا ہے اور جسے چاہے بخش دیتا ہے اور اللہ ہر شے پر قادر ہے۔


*تفسیر بحوالہ۔بلاغ القرآن۔حضرت سماحة الشیخ مولانا محسن علی نجفی۔جامعةالکوثر اسلام آباد*

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سورةالمائدہ

 تفسیرالقرآن۔پوسٹ#141


*سورةالمائدہ*

●﷽●

*یٰۤاَیُّہَا الرَّسُوۡلُ لَا یَحۡزُنۡکَ الَّذِیۡنَ یُسَارِعُوۡنَ فِی الۡکُفۡرِ مِنَ الَّذِیۡنَ قَالُوۡۤا اٰمَنَّا بِاَفۡوَاہِہِمۡ وَ لَمۡ تُؤۡمِنۡ قُلُوۡبُہُمۡ ۚۛ وَ مِنَ الَّذِیۡنَ ہَادُوۡا ۚۛ سَمّٰعُوۡنَ لِلۡکَذِبِ سَمّٰعُوۡنَ لِقَوۡمٍ اٰخَرِیۡنَ ۙ لَمۡ یَاۡتُوۡکَ ؕ یُحَرِّفُوۡنَ الۡکَلِمَ مِنۡۢ بَعۡدِ مَوَاضِعِہٖ ۚ یَقُوۡلُوۡنَ اِنۡ اُوۡتِیۡتُمۡ ہٰذَا فَخُذُوۡہُ وَ اِنۡ لَّمۡ تُؤۡتَوۡہُ فَاحۡذَرُوۡا ؕ وَ مَنۡ یُّرِدِ اللّٰہُ فِتۡنَتَہٗ فَلَنۡ تَمۡلِکَ لَہٗ مِنَ اللّٰہِ شَیۡئًا ؕ اُولٰٓئِکَ الَّذِیۡنَ لَمۡ یُرِدِ اللّٰہُ اَنۡ یُّطَہِّرَ قُلُوۡبَہُمۡ ؕ لَہُمۡ فِی الدُّنۡیَا خِزۡیٌ ۚۖ وَّ لَہُمۡ فِی الۡاٰخِرَۃِ عَذَابٌ عَظِیۡمٌ﴿۴۱﴾*


۴۱۔ اے رسول!اس بات سے آپ رنجیدہ خاطر نہ ہوں کہ کچھ لوگ کفر اختیار کرنے میں بڑی تیزی دکھاتے ہیں وہ خواہ ان لوگوں میں سے ہوں جو منہ سے کہتے ہیں کہ ہم ایمان لا چکے ہیں جب کہ ان کے دل ایمان نہیں لائے اور خواہ ان لوگوں میں سے ہوں جو یہودی بن گئے ہیں، یہ لوگ جھوٹ (کی نسبت آپ کی طرف دینے) کے لیے جاسوسی کرتے ہیں اور ایسے لوگوں (کو گمراہ کرنے) کے لیے جاسوسی کرتے ہیں جو ابھی آپ کے دیدار کے لیے نہیں آئے، وہ کلام کو صحیح معنوں سے پھیرتے ہیں اور کہتے ہیں: اگر تمہیں یہ حکم ملا تو مانو ، نہیں ملا تو بچے رہو،جسے اللہ گمراہ کرنا چاہے تو اسے بچانے کے لیے اللہ نے آپ کو کوئی اختیار نہیں دیا، یہ وہ لوگ ہیں جن کے دلوں کو اللہ نے پاک کرنا ہی نہیں چاہا، ان کے لیے دنیا میں رسوائی ہے اور آخرت میں عذاب عظیم ہے۔


41۔ 42۔ مدینہ کے مضافات میں یہودیوں کا ایک طاقتور قبیلہ بنو نضیر اور ایک کمزور قبیلہ بنو قریظہ آباد تھے۔ بنو نضیر نے بنو قریظہ کو ایک ذلت آمیز معاہدے پر مجبور کر دیا۔ جس میں کہا گیا تھا کہ اگر بنو نضیر کا کوئی آدمی بنو قریظہ کے کسی آدمی کو قتل کر دے تو بنو قریظہ کو قصاص کا حق نہ ہو گا بلکہ ایک خفیف سی دیت دینی ہوگی۔ جبکہ بنو قریظہ کا کوئی آدمی بنو نضیر کے کسی شخص کو قتل کر دے تو قصاص کے ساتھ دیت بھی دگنی ہو گی، رسول کریم ؐکی ہجرت کے بعد بنو قریظہ کے ایک شخص کے ہاتھوں بنو نضیر کا ایک شخص قتل ہو گیا، بنو قریظہ دگنی دیت دینے کے لیے تیار نہ ہوئے۔ جنگ چھڑنے والی تھی، مگر ان کے بزرگوں کے مشورے سے یہ طے پایا کہ اس مسئلے کو رسول اسلام (ص) کی خدمت میں پیش کیا جائے۔ بنو نضیرنے اس فیصلے کو قبول تو کر لیا مگر انہوں نے جاسوسی کے لیے کچھ یہودیوں کو مدینہ بھیجا کہ رسول اسلامؐ کا کیا مؤقف ہے۔ دوسرا واقعہ زنا کا پیش آیا۔ مجرم کا تعلق بڑے خاندان سے تھا ۔ اس بناپریہودی علماء نے سنگساری کی سزا کوڑوں میں بدل دی۔ چنانچہ یہودیوں کا ایک وفد حضورؐ کی خدمت میں آیا۔ زناکرنے والے شادی شدہ تھے اس لیے توریت کے مطابق حضورؐ نے سنگساری کا حکم دیا جس سے وہ بوکھلا گئے۔ سب سے بڑے یہودی عالم (ابن صوریا) سے پوچھا گیا تو اس نے گواہی دی کہ توریت میں یہی سزا ہے لیکن ہم نے بڑوں کے لحاظ اور زنا کی کثرت کی وجہ سے یہ حکم کوڑوں میں بدل دیا تھا۔

اسلامی حکومت میں یہودی اقلیت اپنے مقدمات کے فیصلے میں اپنی عدالت اور اپنے ججوں کی طرف رجوع کرنے اور فیصلہ لینے میں آزاد تھی وہ اسلامی عدالت کی طرف رجو ع کرنے کے لیے مجبور نہ تھے۔ وہ صرف اپنے قانون سے راہ فرار اختیار کرنے کے لیے کبھی اسلامی عدالت کی طرف رجوع کرتے تھے۔


*سَمّٰعُوۡنَ لِلۡکَذِبِ اَکّٰلُوۡنَ لِلسُّحۡتِ ؕ فَاِنۡ جَآءُوۡکَ فَاحۡکُمۡ بَیۡنَہُمۡ اَوۡ اَعۡرِضۡ عَنۡہُمۡ ۚ وَ اِنۡ تُعۡرِضۡ عَنۡہُمۡ فَلَنۡ یَّضُرُّوۡکَ شَیۡئًا ؕ وَ اِنۡ حَکَمۡتَ فَاحۡکُمۡ بَیۡنَہُمۡ بِالۡقِسۡطِ ؕ اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ الۡمُقۡسِطِیۡنَ﴿۴۲﴾*


۴۲۔یہ لوگ جھوٹ (کی نسبت آپ کی طرف دینے )کے لیے جاسوسی کرنے والے، حرام مال خوب کھانے والے ہیں، اگر یہ لوگ آپ کے پاس (کوئی مقدمہ لے کر) آئیں تو ان میں فیصلہ کریں یا ٹال دیں (آپ کی مرضی) اور اگر آپ نے انہیں ٹال دیا تو یہ لوگ آپ کا کچھ نہیں بگاڑ سکیں گے اور اگر آپ فیصلہ کرنا چاہیں تو انصاف کے ساتھ فیصلہ کر دیں، بے شک اللہ انصاف کرنے والوں کو دوست رکھتا ہے۔


*وَ کَیۡفَ یُحَکِّمُوۡنَکَ وَ عِنۡدَہُمُ التَّوۡرٰىۃُ فِیۡہَا حُکۡمُ اللّٰہِ ثُمَّ یَتَوَلَّوۡنَ مِنۡۢ بَعۡدِ ذٰلِکَ ؕ وَ مَاۤ اُولٰٓئِکَ بِالۡمُؤۡمِنِیۡنَ﴿٪۴۳﴾*


۴۳۔ اور یہ لوگ آپ کو منصف کیسے بنائیں گے جب کہ ان کے پاس توریت موجود ہے جس میں اللہ کا حکم موجود ہونے کے باوجود یہ لوگ منہ پھیر لیتے ہیں، حقیقت یہ ہے کہ یہ لوگ ایمان ہی نہیں رکھتے۔


43۔ *فِیۡہَا حُکۡمُ اللّٰہ*ِ : توریت میں حکم خدا موجود ہے۔ اس جملے سے معلوم ہوا جہاں توریت میں تحریف و تبدل ہوا ہے وہاں یہ بھی قبول ہے کہ توریت میں بعض احکام خدا باقی ہیں۔


*اِنَّاۤ اَنۡزَلۡنَا التَّوۡرٰىۃَ فِیۡہَا ہُدًی وَّ نُوۡرٌ ۚ یَحۡکُمُ بِہَا النَّبِیُّوۡنَ الَّذِیۡنَ اَسۡلَمُوۡا لِلَّذِیۡنَ ہَادُوۡا وَ الرَّبّٰنِیُّوۡنَ وَ الۡاَحۡبَارُ بِمَا اسۡتُحۡفِظُوۡا مِنۡ کِتٰبِ اللّٰہِ وَ کَانُوۡا عَلَیۡہِ شُہَدَآءَ ۚ فَلَا تَخۡشَوُا النَّاسَ وَ اخۡشَوۡنِ وَ لَا تَشۡتَرُوۡا بِاٰیٰتِیۡ ثَمَنًا قَلِیۡلًا ؕ وَ مَنۡ لَّمۡ یَحۡکُمۡ بِمَاۤ اَنۡزَلَ اللّٰہُ فَاُولٰٓئِکَ ہُمُ الۡکٰفِرُوۡنَ﴿۴۴﴾*


۴۴۔ ہم نے توریت نازل کی جس میں ہدایت اور نور تھا، اطاعت گزار انبیاء اس کے مطابق یہودیوں کے فیصلے کرتے تھے اور علماء اور فقہاء بھی فیصلے کرتے تھے جنہیں اللہ نے کتاب کی حفاظت کا ذمہ دار بنایا تھا اور وہ اس پر گواہ تھے، لہٰذا تم لوگوں سے خوفزدہ نہ ہونا بلکہ مجھ سے خوف رکھنا اور میری آیات کو تھوڑی سی قیمت پر نہ بیچنا اور جو لوگ اللہ کے نازل کردہ قوانین کے مطابق فیصلے نہ کریں پس وہ کافر ہیں۔


44۔ اس آیت سے ظاہر ہوتا ہے کہ علماء اور فقہاء بھی انبیاء علیہم السلام کے ساتھ کتاب اللہ اور اس کے احکام کے امین اور محافظ ہوتے ہیں اور یَحۡکُمۡ بِمَاۤ سے یہ عندیہ ملتا ہے کہ علماء و فقہاء کو کتاب اللہ کی حفاظت اور علم و فقاہت کی بنیاد پر حکومت کا حق حاصل ہے۔

اس آیت کی تفسیر میں امام صادق علیہ السلام سے منقول ہے: جن کو حکومت کا حق حاصل ہے وہ آئمہ اور علماء ہیں۔ آپ نے فرمایا: ربانی امام کی طرف اور احبار علماء کی طرف اشارہ ہے (تفسیر عیاشی 1:322)


*وَ کَتَبۡنَا عَلَیۡہِمۡ فِیۡہَاۤ اَنَّ النَّفۡسَ بِالنَّفۡسِ ۙ وَ الۡعَیۡنَ بِالۡعَیۡنِ وَ الۡاَنۡفَ بِالۡاَنۡفِ وَ الۡاُذُنَ بِالۡاُذُنِ وَ السِّنَّ بِالسِّنِّ ۙ وَ الۡجُرُوۡحَ قِصَاصٌ ؕ فَمَنۡ تَصَدَّقَ بِہٖ فَہُوَ کَفَّارَۃٌ لَّہٗ ؕ وَ مَنۡ لَّمۡ یَحۡکُمۡ بِمَاۤ اَنۡزَلَ اللّٰہُ فَاُولٰٓئِکَ ہُمُ الظّٰلِمُوۡنَ﴿۴۵﴾*


۴۵۔ اور ہم نے توریت میں ان پر (یہ قانون) لکھ دیا تھا کہ جان کے بدلے جان، آنکھ کے بدلے آنکھ، ناک کے بدلے ناک، کان کے بدلے کان اور دانت کے بدلے دانت ہیں اور زخموں کا بدلہ (ان کے برابر) لیا جائے، پھر جو قصاص کو معاف کر دے تو یہ اس کے لیے (گناہوں کا) کفارہ شمار ہو گا اور جو اللہ کے نازل کردہ حکم کے مطابق فیصلے نہ کریں پس وہ ظالم ہیں۔


45۔ آج کی رائج توریت میں بھی قصاص کے یہی احکام موجود ہیں جو قرآن نقل کر رہا ہے۔ ملاحظہ ہو خروج: 21۔23۔25 میں یہ عبارت: ’’ اگر وہ اس صدمے سے ہلاک ہو جائے، جان کے بدلے میں جان لے اور آنکھ کے بدلے میں آنکھ، دانت کے بدلے میں دانت، ہاتھ کے بدلے میں ہاتھ، پاؤں کے بدلے میں پاؤں، جلانے کے بدلے میں جلانا، زخم کے بدلے میں زخم اور چوٹ کے بدلے میں چوٹ‘‘-


*تفسیر بحوالہ۔بلاغ القرآن۔حضرت سماحة الشیخ مولانا محسن علی نجفی۔جامعةالکوثر اسلام آباد*

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100 पे लॉक डाउन 1000 पे ट्रैन चालू


 


लखनऊ ,संवाददाता | जिस समय उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस ने अपने पाँव भी ठीक से नहीं पसारे थे उस समय उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉक डाउन लगाया था | हालांकि उस समय मुंबई और दिल्ली में कोरोना के मामले में सबसे आगे चल रहे थे | ऐसे समय में उत्तर प्रदेश में कोरोना के 50 से 100 मरीज़ ही आ रहे थे | लेकिन आज जब कोरोना वायरस उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आस्तीन से बाहर है | उस समय लॉकडाउन खोलना कहां तक उचित था ? इसका जवाब प्रदेश सरकार हाईकोर्ट को भी नहीं दे सकी |उस समय उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन लगाकर सरकार ने बड़ा सराहनीय कार्य किया था | जिसके कारण कहीं ना कहीं कोरोना की चेन टूटी थी और कोरोना पर अंकुश लगा था | लेकिन इधर पिछले कई दिनों का अगर आंकलन किया जाए तो कोरोना वायरस ने लोगों को बहुत तेजी से अपनी गिरफ्त में लिया है | लखनऊ में कल ही कोरोना वायरस ने अपने ही सभी पिछले रिकार्ड तोड़ते हुए 1006 लोगों को अपना निशाना बनाया था और आज भीकोरोना ने 999 लोगों को संक्रमित किया है | ऐसे समय में मेट्रो का फिर से चलाया जाना कहां तक उचित होगा ?

बहरहाल लखनऊ में 7 सितंबर सुबह 6:00 बजे से मेट्रो चलना शुरू हो जाएगी | यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन इस अभियान के तहत तैयारियों में जुटा हुआ है | एमडी कुमार केशव ने शुक्रवार को खुद मेट्रो स्टेशनों का निरीक्षण किया है लखनऊ मेट्रो का 6 सितंबर को दूसरे दिन भी ट्रायल जारी रहा | इस दौरान सिग्नल संचालन से जुड़े अधिकारी द्वारा मेट्रो का तकनीकी परीक्षण किया जा रहा है |
मेट्रो के लिए बताया गया है कि हर 5:30 मिनट में यात्रियों को मेट्रो मिलेगी | यात्रियों को मेट्रो के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना होगा | मेट्रो में जहाँ करीब 100 यात्री ही बैठ सकेंगे वहीँ कुल मेट्रो में 40 फ़ीसदी यात्री सफर कर सकेंगे | सफर से पहले यात्रियों को इंट्री गेट पर अपनी थर्मल स्कैनिंग करवानी होगी ,साथ ही सैनिटाइजेशन करवाने और आरोग्य सेतु एप दिखाकर ही प्रवेश मिलेगा | एमडी ने यात्रियों को सलाह दी है कि अगर वो स्मार्ट कार्ड का प्रयोग करें तो बेहतर साबित होगा , इसमें हर सफर पर 10 फीसद छूट का लाभ 

Mohammad bn abi baqr ki sacchi

❤️ محمد بن ابوبکر بن قحافہ (رض) :  (پوسٹ 1)

❤️ محب علی (ع) و اھلبیت علیہم السلام -

❤️ (پوسٹ 1)   1/2


❤️ کیا ابوبکر بن قحافہ :

❤️ امام جعفر صادق (ع) کا نانا تھا ??

❤️ کیا یہ قول امام جعفر صادق (ع) ھے ، کہ ابوبکر نے مجھکو دو بار جنا ??

❤️ یہ قصہ کیا ھے ۔ اور اسکی حقیقت کیا ھے ۔ 

❤️ زبردست علمی ، سچی اور کھری باتیں ۔


❤️ موالیان و محبان حیدر کرار کیلیئے ایک محب کے واقعات : حضرت محمد بن ابوبکر بن ابو قحافہ (رض) کے مختصر حالات زندگی : ( معاویہ کے حکم پر آپکو گدھے کی کھال میں سی کر زندہ جلایا گیا ) 14 صفر یوم شہادت !!


❤️ محمد بن ابی بکر (رض) جلیل القدر عظیم المنزلت خواص و حوارین امیرالمؤمنینؑ علی ابن ابی طالب علیہ الصلوات و والسلام میں سے تھے - بلکہ بمنزلہ آپؑ (ع) کے فرزند کے تھے ۔ چونکہ انکی والدہ اسماء بنت عمیس (رض) پہلے جعفر بن ابی طالبؑ (ع) کی بیوی تھی - جعفر طیارؑ (ع) کے بعد ابوبکر کی زوجہ ہوئیں اور حجۃ الوداع کے سفر میں محمد (رض) بن ابوبکر کو جنم دیا - ابوبکر کی وفات کے بعد امیرالمؤمنینؑ (ع) کے حرم میں داخل ھوئیں - تو اسکے ساتھ محمد بن ابی بکر (رض) اور ام کلثوم بنت ابی بکر بھی والدہ کے ھمراہ خانہ اھلبیت (ع) میں آ گئیں -


❤️ اسلیئے لا محالہ محمد بن ابی بکر (رض)  نے حضرت امیرؑ (ع) کی گود میں تربیت پائی - اور امیرالمومنین (ع) سے ھی کسب فیوض کیا - اور حضرتؑ (ع) کے علاوہ انہوں نے کسی باپ کو نہیں پہچانا - یہاں تک کہ امیرالمؤمنینؑ (ع) نے فرمایا : کہ محمد (رض) صلب ابوبکر سے میرا بیٹا ھے - 


❤️ محمد (رض) جنگ جمل و صفین میں حاضر تھے اور جنگ صفین کے بعد امیرالمؤمنینؑ (ع) نے حکومت مصر انہیں عطا فرمائی - یہ تربیت کا ھی اثر تھا ۔ کہ جنگ جمل میں بھی مولا علی (ع) کی حمایت و نصرت میں تھا ۔ اور اپنی بہن عائشہ ام المومنین کے مخالف تھا - اور جنگ صفین میں بھی حضرت علی (ع) کی ھمراھی و حمایت میں تھا -


38 ھجری میں معاویہ نے عمرو بن عاص ، معاویہ بن خدیج اور ابواعور سلمی کو ایک گروہ عظیم کے ساتھ مصر کی طرف روانہ کیا - معاویہ کے گھناونے کارناموں میں کچھ اھم ترین افراد میں ایک یہی عمرو بن عاص تھا - اور ایک مغیرہ بن شعبہ ھے - جلال الدین سیوطی تاریخ الخلفاء صفحہ 301 سطر 6 پر درج کرتے ھیں :


❤️ دو شخصیتوں نے معاویہ کیطرف سے مسلمانوں میں فساد کا بیج بویا - (1) : عمرو بن عاص ، جس نے معاویہ کی جانب سے صفین میں نیزوں پر قرآن شریف بلند کروائے - (2) : دوسری فتنہ انگیز شخصیت مغیرہ بن شعبہ ھے - جو معاویہ کیطرف سے کوفہ کا گورنر تھا - معاویہ کے مصر کیطرف بھیجے گئے لشکر (عمرو بن عاص ، معاویہ بن خدیج - ابواعور) کے لوگوں نے عثمان کے ھوا خواھوں کیساتھ مل کر محمد (رض) سے جنگ کی - اور انہیں گرفتار کر لیا - پس معاویہ بن خدیج نے محمد (رض) کا سر پیاس کی حالت میں قلم کیا - اور انکا جسم گدھے کے چمڑے میں رکھ کر جلایا ۔ محمد (رض) کی عمر اس وقت اٹھائیس برس تھی -

حوالہ جات ملاحظہ ھوں :

مشکوات شریف جلد 3 صفحہ 417 - 

تاریخ ابو الفداء صفحہ 154 - 

خلافت ملوکیت صفحہ 178 - 

فتوح البلدان بلاذری صفحہ 329 - وغیرہ ۔۔ 


❤️ جلال الدین السیوطی لکھتے ھیں کہ :

حضرت علی (ع) کے (عدل) کیوجہ سے دشمن بہت زیادہ تھے - انہوں نے حضرت علی (ع) میں بہت عیوب تلاش کیئے - اور جب کوئی عیب نظر نہیں آیا - تو پھر وہ اس شخص (معاویہ) کے مداحوں میں شامل ھو گئے - جسنے حضرت علی (ع) سے جنگ کی - اور جو نہایت ھوشیار اور حیلہ گر تھا - (تاریخ الخلفاء السیوطی صفحہ 293)


❤️ کہتے ھیں کہ : جب یہ خبر انکی والدہ تک پہنچی ۔ تو غم و غصہ کی زیادتی کیوجہ سے انکے پستان سے خون نکل آیا - اور انکی پدری بہن بیبی عائشہ نے قسم کھائی ۔ کہ جب تک زندہ ھوں کوئی پکی ھوئی چیز نہیں کھاؤں گی - اور ھر نماز کے بعد معاویہ ، عمرو بن عاص اور معاویہ بن خدیج پر لعنت کرتی تھیں ۔ جب محمد (رض) کی شہادت کی خبر امیرالمؤمنین (ع) کو پہنچی - تو آپ بہت محزون و غمگین ھوئے اور محمد (رض) کی موت کی خبر ابن عباس (رض) کو ان کلمات کیساتھ بصرہ میں تحریر کی : کہ بیشک مصر فتح ھو چکا ھے - اور محمد بن ابی بکر (رض) خدا اس پر رحم کرے شہید ھو گیا ھے - اسکے ثواب کی امید ھم خدا سے رکھتے ھیں - جو کہ مخلص بیٹا تھا ۔ اور سخت کام کرنے والا تھا اور چمکنے والی تلوار اور دشمن کو دفع کرنے والا رکن اور ستون تھا - میں نے لوگوں کو اس سے مل جانے پر ابھارا تھا ۔ اور اسکی فریاد رسی کا حکم دیا تھا - اس واقعہ کے ھونے سے پہلے انہیں خلوت و جلوت میں جاتے آتے بلایا تھا - ان میں سے کوئی تو کراھت کیساتھ آتا ھے ۔ اور جھوٹے بہانے حیلے بناتا ھے اور کوئی مدد نہ کرتے ھوئے بیٹھ رھتا ھے -


❤️ میں خدا سے دعا مانگتا ھوں - کہ وہ مجھے جلدی ان سے چھٹکارا دلائے - خدا کی قسم !! اگر دشمن سے ٹکراؤ میں مجھے شہادت کی امید نہ ھو - اور مینے اپنے نفس کو مرنے کیلیئے پورے طور پر تیار نہ کیا ھو - تو میں دوست رکھتا ھوں کہ ان لوگوں کیساتھ ایک دن بھی نہ گزاروں - اور نہ کبھی میری ان سے ملاقات ھو ۔ ابن عباس (رض) جب محمد (رض) کی شہادت سے مطلع ھوئے تو امیرالمؤمنینؑ (ع) کے پاس تعزیت کیلیئے بصرہ سے کوفہ آئے اور حضرت (ع) سے تعزیت کی -


❤️ امیرالمؤمنینؑ (ع) کا ایک جاسوس شام سے آیا - اور کہنے لگا اے امیرالمؤمنینؑ (ع) معاویہ کو محمد (رض) کی شہادت کی خبر ملی - تو وہ منبر پر گیا ۔ اور لوگوں کو بتایا - شام کے لوگ اتنے خوش ھوئے ۔ کہ مینے انہیں اسطرح کبھی کسی موقع پر خوش نہیں دیکھا تھا - تو حضرتؑ (ع) نے فرمایا : ھم اسی قدر مغموم ھیں جتنے وہ خوش ھیں - بلکہ ھمارا غم و اندوہ کئی گنا زیادہ ھے -


❤️ اور روایت ھے کہ : 

آپؑ (ع) نے محمد (رض) کے حق میں فرمایا - 

کہ میرا پروردہ تھا اور میں اسکا باپ اور اسے بیٹا سمجھتا تھا - محمد بن ابی بکر (رض) مادری بھائی ھیں ، عبداللہ بن جعفرؑ (ع) ، عون بن جعفرؑ (ع) ، اور محمد بن جعفر طیارؑ (ع) کے اور یحیٰ بن امیرالمؤمنینؑ (ع) کے اور ابن عباس (رض) کی خالہ کے بیٹے ھیں - اور قاسم (ع) فقیہ مدینہ کے باپ ھیں -  جو کہ امام جعفر صادقؑ علیہ السلام کے نانا تھے ۔ ( احسن المقال ترجمہ منتہی الآمال شیخ عباس قمیؒ )


❤️ ایک گروپ ممبر کا سوال ، 

❤️ اور ۔۔۔۔۔ اسکا جوابی علمی جواب : 

آپ سبکیلیئے ۔۔۔۔۔ !!

آپ (گروپ ممبر) نے کہا : 

کہ معترضین کہتے ھیں ۔ کہ ابوبکر بن قحافہ حضرت امام جعفر صادق (ع) کے نانا تھے ۔ اسکی حقیقت اور تفصیل آگاہ کیجیئے ۔۔۔۔۔ جزاک اللہ خیر !! اور کیا وجہ ھوئی کہ امام باقر علیہ السلام کی شادی مسلمانوں کے پہلے خلیفہ ابوبکر کی پڑپوتی سے ھوئی ??


❤️ جواب :

❤️ برادر ایمانی و دیگر معزز گروپ ممبران :

یہ بات درست ھے ۔ کہ امام باقر علیہ السلام کی زوجہ اور امام صادق علیہ السلام کی والدہ جناب ام فروہ سلام اللہ علیہا پہلے خلیفہ ابوبکر کی نسل سے تھیں ۔


🛑 لیکن ایسا کیونکر ھوا ?? آئیے جانتے ھیں :

مولا علی علیہ السلام کے ایک بھائی تھے ۔ جنکا نام حضرت جعفر طیار (ع) تھا ۔ وہ اسلام قبول کرنیوالے اولین افراد میں سے تھے ۔ انکی زوجہ جناب اسما بنت عمیس نے بھی اسی وقت اسلام قبول کیا ۔ اور پھر اپنے شوھر کے ھمراہ  حبشہ کیطرف ھجرت بھی کی ۔ حضرت جعفر طیار (ع) سے جناب اسما کے 3 بیٹے بھی پیدا ھوئے ۔


🛑 جناب اسما ایک نیک اور پرھیز گار اور اھلبیت )ع) سے ایک خاص تعلق اور اُنس و محبت رکھنے والی خاتون تھیں یہی وجہ ھے کہ بعض روایات کیمطابق وہ جناب سیدہ فاطمہ زھرا سلام اللہ علیہا کے غسل و کفن میں بھی شریک تھیں ۔ پیغمبر اکرم (ص) کے زمانے میں جنگ موتہ میں حضرت جعفر طیار (ع) شہید ھو گئے ۔ اور انکی بیوی اسما بنت عمیس بیوہ ھو گئیں ۔ عرب میں رواج تھا ۔ کہ عورتیں طلاق یا بیوگی کیبعد مزید شادی بھی کرتی تھیں ۔ لہذا مسلمانوں کے پہلے خلیفہ حضرت ابوبکر کیساتھ جناب اسما نے شادی کی اور ان سے ایک بیٹا جسکا نام محمد بن ابوبکر  تھا پیدا ھوئے ۔ ابھی محمد بن ابوبکر ڈھائی سال کے تھے کہ انکے والد حضرت ابو بکر کا انتقال ھو گیا ۔ اور یوں اسما بنت عمیس ایک بار پھر بیوہ ھو گئیں ۔ جناب اسما بنت عمیس نے 8 ھجری میں حضرت ابو بکر سے شادی کی ۔ [1]

 اور 13 ھجری میں حضرت ابوبکر کیوفات ھوئی ۔ لہذا صرف 5 سال حضرت ابوبکر کے ساتھ رھیں ۔


❤️ مولا علی علیہ السلام سے شادی :

چونکہ اسما پہلے مولا علی (ع) کے بھائی کی زوجہ رھی تھیں ۔ اور اھلبیت (ع) سے ایک خاص محبت رکھتی تھیں اور انکے مرتبہ سے بھی آگاہ تھیں ۔ لہذا حضرت ابوبکر کی وفات کیبعد مولا علی علیہ السلام نے جناب اسما بنت عمیس کو رشتہ بھجوایا اور یوں جناب اسما مولا علی علیہ السلام کی زوجیت میں آ گئیں ۔ انکا بیٹا محمد بن ابوبکر چونکہ ابھی صرف ڈھائی سال کا تھا ۔ لہذا وہ بھی اپنی والدہ کے ساتھ مولا علی (ع) کے گھر آیا . اور یوں اس بچے کی ساری تربیت مولا علی علیہ السلام کے زیر سایہ ھوئی ۔ یہی وجہ تھی کہ محمد بن ابوبکر مولا علی علیہ السلام کے اصحاب خاص میں شمار ھوتے تھے ۔ اور مولا علی علیہ السلام انکو اپنا بیٹا کہتے تھے ۔


👈 یہاں ایک سوال پیدا ھوتا ھے :

کہ مولا علی (ع) نے جناب جعفر طیار (ع) کی شہادت کے فوراََ بعد ھی جناب اسما سے شادی کیوں نہ کی ??


🛑 اسکی وجہ یہ تھی . کہ اسوقت جناب فاطمہ زھرا سلام اللہ علیہا زندہ تھیں ۔ اور انکی موجودگی میں مولا علی (ع) دوسری شادی نہیں کر سکتے تھے ۔


❤️ خلفائے ثلاثہ کے بارے میں محمد بن ابوبکر کا نظریہ یہ تھا ۔ کہ انہوں نے خلافت کیحوالے سے حضرت علیؑ کو نظر انداز کیا ۔ اور خصوصاََ حضرت عثمان کے بارے میں وہ کہتے تھے ۔ کہ انہوں نے احکام خداوندی اور حضرت محمد صلی اللہ علیہ و آلہ وسلم کی سنت سے روگردانی کی ۔ [2] بعض روایات کیمطابق محمد بن ابوبکر تیسرے خلیفہ عثمان کے قتل میں براہ راست ملوث تھے ۔


🛑 محمد بن ابوبکر مولا علی (ع) کے جانثار صحابی تھے اور ھر جنگ میں مولا علی (ع) کا ساتھ دیا، حتی کہ جب حضرت عائشہ نے مولا علی ع سے جنگ کی تب بھی محمد بن ابی بکر نے حضرت عائشہ یعنی اپنی بہن کے خلاف جنگ کی اور مولا علی ع کا ساتھ دیا

جب معاویہ نے مولا علی (ع) کی بیعت سے انکار کیا اور شام میں اپنی الگ حکومت قائم کی ۔ تو جنگ صفین میں بھی محمد بن ابوبکر نے مولا علی علیہ السلام کا ساتھ دیا ۔ یعنی ھر مشکل میں محمد بن ابوبکر مولا علی (ع) کے ساتھی اور حمایتی رھے اور مولا علی (ع) نے ابھی انکو جنگوں میں اھم عہدوں پر فائز کیا ۔ اور اپنی خلافت کے دوران انکو مصر کا گورنر بھی بنایا ۔


❤️ محمد بن ابوبکر کی اولاد :

محمد بن ابوبکر کی اولاد میں سے ایک قاسم بن محمد بن ابوبکر تھے ۔ "قاسم" (وفات 92 یا 108 ق) ، جو اپنے زمانے میں مدینے کے فقیہ اور بڑے علماء میں سے تھے ۔ [3] اور یہ سب اھلبیت (ع) کی صحبت کا اثر تھا ۔جناب قاسم خود بھی امام سجاد (ع) اور امام باقرؑ (ع) کے خواص اور اصحاب میں سے تھے ۔ [4] ، قاسم نے  مسلمانوں کے پہلے خلیفہ حضرت ابوبکر کے بیٹے عبد الرحمن کی بیٹی اسما سے شادی کی ۔ اور ان سے ایک بیٹی پیدا ھوئی ۔ جن کا نام  فاطمہ یا قریبہ اور کنیت ام فروہ تھی ۔


❤️ نتیجہ و ماحصل :

قاسم بن محمد بن ابوبکر چونکہ امام سجاد علیہ السلام کے خاص اصحاب میں سے تھے اور قاسم کے والد محمد بن ابی بکر مولا علی علیہ السلام کے جانثار صحابیوں میں سے تھے اور محمد بن ابوبکر کی والدہ اسما بنت عمیس جناب جعفر طیار (ع) اور مولا علی علیہ السلام کی زوجہ رھی تھیں ۔ اسلیئے  جناب ام فروہ کے عقائد اھل بیت علیہم السلام کے مطابق تھے ۔ اسی وجہ سے امام سجاد علیہ السلام نے قاسم سے انکی بیٹی ام فروہ کا رشتہ امام باقر علیہ السلام کیلیئے طلب کیا ۔ جسکو قاسم نے قبول کیا ۔ اور یوں امام باقر علیہ السلام کی شادی حضرت ابوبکر کی پڑپوتی سے ھوئی ۔


❤️ اب یہاں یہ بات بالکل واضح ھو گئی ۔ کہ امام باقر علیہ السلام کی شادی جناب ام فروہ سے اسلیئے نہیں ھوئی کہ وہ حضرت ابوبکر کی نسل میں سے تھیں ۔ یا اھلبیت (ع) کو خلیفہ اول سے کوئی خاص لگاؤ تھا ۔ بلکہ جناب ام فروہ کی شادی اسلیئے امام باقر علیہ السلام کے ساتھ ھوئی ۔ کیونکہ جناب ام فروہ ، انکے والد قاسم ، انکے دادا محمد بن ابوبکر دراصل مولا علی علیہ السلام کے اطاعت گزار اور خاص اصحاب میں سے تھے ۔


📚 اھلسنت کتب کے حوالہ جات :


[1]  اصابہ جلد 8 صفحہ 9 ۔

[2] نصر ابن مزاحم منقری وقعۃ صفین صفحہ 118 ۔

ابن ابی الحدید شرح نہج البلاغہ جلد 2 صفحہ 92 ۔

[3] مسعودی تنبیہ الاشراف صفحہ 264 ۔

[4] ابی الحدید شرح نہج البلاغہ جلد 3 صفحہ 190 ۔

حرزالدین مراقد المعارف جلد 2 صفحہ 249 ۔


❤️ اھلبیت (ع) سے بغض و عناد اور دشمنی کے حامل ناصبی و خارجی مخالفین اپنے لوگوں اور عوام کو اصل بات نہیں بتاتے ۔ بلکہ خیانت آمیز حاصل مطلب گفتگو کا ھی سہارا لیا جاتا ھے ۔ جبکہ مکتب تشیع تو ویسے ھی شخصیت کو نہیں بلکہ کردار کو دیکھتا ھے ۔


❤️ وہ کردار اگر ابوسفیان کی بیٹی ام حبیبہ زوجہ رسول (ص) میں نظر آ جائے ۔ تو اسکا بھی احترام کرتے ھیں ۔ مگر یہ احترام ابوسفیان کو کوئی فائدہ نہیں دیتا ۔ یہ کردار فرعون کی بیوی حضرت آسیہ (س) میں دکھائی دے ۔ تو اسکو بھی سلام کرتے ھیں اور انکا بھی احترام کرتے ھیں ۔ مگر یہ احترام فرعون کو لعنت سے نہیں بچاتا ۔


(مضمون ابھی جاری ھے ۔۔۔۔۔ !!)

وما علینا الا البلاغ المبین ہ ۔۔۔۔۔


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التماس دعا :

سید فاخر حسین رضوی -

*रमज़ान








चार रकअत की नमाज़ और हर रकअत में सूरह हमद के बाद 20 बार सूरह क़द्र पढ़ना। हज़रत अली (अ.स.) इस नमाज़ के सवाब में कहते हैं कि ख़ुदा इस शख्स के सारे गुनाह माफ़ कर देगा, उसकी रोज़ी का विस्तार करेगा और यह इस साल के उसके कामों के लिए काफ़ी होगा। दूसरा: रमजान की हर रात शुरुआती नमाज पढ़ना इनाम का स्रोत ह,


चार रकअत की नमाज़ और हर रकअत में सूरह हमद के बाद 20 बार सूरह क़द्र पढ़ना। हज़रत अली (अ.स.) इस नमाज़ के सवाब में कहते हैं कि ख़ुदा इस शख्स के सारे गुनाह माफ़ कर देगा, उसकी रोज़ी का विस्तार करेगा और यह इस साल के उसके कामों के लिए काफ़ी होगा। दूसरा: रमजान की हर रात शुरुआती नमाज पढ़ना इनाम का स्रोत है।
चार रकअत की नमाज़ और हर रकअत में सूरह हमद के बाद 20 बार सूरह क़द्र पढ़ना। हज़रत अली (अ.स.) इस नमाज़ के सवाब में कहते हैं कि ख़ुदा इस शख्स के सारे गुनाह माफ़ कर देगा, उसकी रोज़ी का विस्तार करेगा और यह इस साल के उसके कामों के लिए काफ़ी होगा। दूसरा: रमजान की हर रात शुरुआती नमाज पढ़ना इनाम का स्रोत है।

انا لله و انا الیه راجعون आयतुल्लाह इब्राहीम अमीनी का 94 साल की उम्र में इंतेक़ाल ईरान में शोक की लहर।

انا لله و انا الیه راجعون
आयतुल्लाह इब्राहीम अमीनी का 94 साल की उम्र में इंतेक़ाल
ईरान में शोक की लहर।

मक़सद नए रुख़ का मूल्यांकन है, कोरोना के बाद क्या नया मिडिल ईस्ट जन्म ले रहा है

पश्चिमी एशिया के इलाक़े में एक बड़े बदलाव की शुरुआत के इशारे मिल रहे हैं। ईरान ने अपना पुराना स्टैंड फिर दोहराया है कि वह क्षेत्र में शांति व सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय देशों से बिना शर्त वार्ता के लिए तैयार है।




कुवैत के अमीर शैख़ सबाह अलअहमद अलसबाह और ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी के बीच सोमवार को फ़ोन पर बातचीत हुई जिसमें क्षेत्र के हालात और कोरोना वायरस की महामारी से मुक़ाबले का मुद्दा चर्चा में आया।
ईरान क्षेत्र के देशों को यह समझाने की कोशिश लगातार कर रहा है कि फ़ार्स की खाड़ी के इलाक़े में शांति और स्थिरता क्षेत्रीय देश आपस में मिलकर सुनिश्चित कर सकते हैं अगर इस इलाक़े में अमरीका या दूसरी बाहरी ताक़तों की दख़लअंदाज़ी जारी रही तो तनाव पैदा होगा। हालिया दिनों अमरीकी युद्धपोत और ईरानी युद्धक नौकाओं का आमना सामना होने की घटनाएं हुईं जो इसका उदाहरण हैं।

ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ भी दमिश्क़ की यात्रा पर गए हैं। टीकाकार इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह मान रहे हैं कि कई अरब देशों की ओर से हालिया दिनों में यह इशारे दिए गए हैं कि वह उस मज़बूत फ़्रंट के क़रीब आना चाहते हैं जिसका नेतृत्व ईरान कर रहा है और जिसे प्रतिरोध का मोर्चा कहा जाता है, जवाद ज़रीफ़ इस बदले हुए रुख़ की गहराई का मूल्यांकन करना चाहते हैं।
हालिया दिनों तीन महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। एक तो संयुक्त अरब इमारात के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन ज़ाएद ने सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद को फ़ोन किया। दूसरा फ़ोन मोरीतानिया के राष्ट्रपति मुहम्मद वलद अलग़ज़वानी ने किया और तीसरा फ़ोन ओमान के नए सुलतान हैसम बिन तारिक़ ने किया। यह तीनों फ़ोन सीरिया में मनाए जाने वाले ख़ास जश्न की मुबारकबाद के लिए थे मगर हक़ीक़त में यह इशारा था कि अरब देश अब सीरिया के साथ सहयोग का नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं।
अलजीरिया के राष्ट्रपति अब्दुल मजीद तबून ने तो बड़ा साहसी क़दम उठाया। उन्होंने रशा टुडे से बातचीत में कहा कि सीरिया अरब लीग का संस्थापक मेम्बर है और अलजीरिया उसे या किसी अन्य अरब देश को नुक़सान नहीं पहुंचने देगा। अलजीरिया में अरब लीग का शिखर सम्मेलन होने वाला है और उसकी कोशिश होगी कि सीरिया भी इसमें भाग ले जिसकी सदस्यता अरब लीग ने निलंबित कर दी थी।
आजकल यह भी देखने में आ रहा है कि अगर कोई देश ईरान के क़रीब जाना चाहता है तो इसके लिए कभी इराक़, कभी सीरिया, कभी हिज़्बुल्लाह लेबनान और कही यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन को माध्यम बनाता है। वैसे फ़ार्स खाड़ी के देशों ने कोरोना महामारी के हालात को बुनियाद बनाकर ईरान से संपर्क भी किया है और तनाव कम करने की कोशिश की है। उनकी नज़रें कोरोना की महामारी के बाद विश्व स्तर पर राजनैतिक, आर्थिक और सामरिक क्षेत्रों में आने वाले भारी बदलाव पर टिकी हुईं जो बहुत तेज़ी से उभर कर सामने आ रहा है।
हालिया दिनों फ़ार्स खाड़ी, इराक़ और सीरिया के भीतर अमरीकी सैनिकों और नौसैनिकों की उत्तेजक कार्यवाहियों का मतलब यह है कि अमरीका अपने घटकों को यह संदेश देना चाहता है कि वह उनकी हिफ़ाज़त के लिए अभी मौजूद है और ईरान से टक्कर लेता रहेगा। मगर अमरीका की ओर से उसके पारम्परिक घटकों की निराशा चरम बिंदु पर पहुंच चुकी है

दाइश के ख़िलाफ़ कुर्दिस्तान की मदद करने वाले जनरल सुलेमानी पहले शख़्स थे, बारज़ा


इराक़ की कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी (केडीपी) क नेतका कहना है कि दाइश के ख़िलाफ़ शहीद जनरल सुलेमानी पहले वह शख़्स थे, जिन्होंने कुर्दिस्तान क्षेत्र की मदद की थी।
केडीपी के नेता मसूद बारज़ानी ने सऊदी टीवी चैनल एमबीएस के साथ इंटरव्यू में उल्लेख किया कि दाइश ने जब इराक़ में अपने पैर पसारने शुरू किए और उसके आतंकवादी कुर्दिस्तान के निकट पहुंचने लगे तो ईरान की इस्लामी क्रांति की सेना आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल सुलेमानी ने सबसे पहले उन्हें फ़ोन किया और कुर्दिस्तान के लिए तेहरान के समर्थन की घोषणा की।          बारज़ानी ने आगे कहाः जनरल सुलेमानी द्वारा संपर्क किए जाने के अगले ही दिन ईरान ने हथियारों से भरे दो विमान कुर्दिस्तान भेज दिए।    
ग़ौरतलब है कि क्षेत्र में दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई में जनरल क़ासिम सुलेमानी का महत्वपूर्ण योगदान था, लेकिन अमरीका ने 3 जनवरी को बग़दाद एयरपोर्ट के निकट उन्हें उनके कई साथियों के साथ शहीद कर 

तस्बीह फातम्मा ज़हरा के मनाक़िब

 किसी भी इंसान के लिए इन
कार संभव नहीं है।
लोलाक लामा खालकत अल-अफलाक व लाला अली लामा खल्टक व लाला फातिमा लामा खालकतमा(1)ऐ मेरे महबूब (PBUH),अगर आप न होते तो जन्नत न बनाते,और अगर आपके लिए न होते अली (अ:स) ने तुमको पैदा न किया होता और अगर फातिमा (अ:स) न होते तो तुम दोनों को पैदा न करते,सर्वशक्तिमान ईश्वर के इस कथन के बाद, कोई भी बुद्धिमान और समझदार राजकुमारी, मखदूमा, कुनीन और हसनैन (उसे शांति) की माँ की स्थिति और गरिमा से इनकार नहीं कर सकता है - जो कि सर्वशक्तिमान भगवान ने आपको दिया है,शायद इसीलिए शहज़ादी और दो दुनिया। (PBUH) के नाम का पाठ बीमारों और ज़रूरतमंदों के उपचार के लिए है  और उनके नाम की नमाज़ पढ़ना हर दर्द को दूर करने और महिमा करने का साधन है वह पापों की क्षमा का साधन है -
 तस्बीह फातिमा, शांति उस पर हो, पूजा का एक ऐसा पवित्र कार्य है,जिसे समझना एक सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं है,इसका महत्व और गुण केवल बेदाग गर्भाधान और पवित्रता के परिवार के रहस्योद्घाटन से समझा जा सकता है। उन्हें,इस तस्बीह के संबंध में प्रवेश करने के लिए। कुछ हदीसें देखें।





नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस तस्बीह के बारे में फरमाया और इस तस्बीह को अपने लाख जागर सय्यिदाह (pbuh) को सिखाया।प्रत्येक अनिवार्य प्रार्थना के बाद पढ़ें:
 34 बार अल्लाहु अकबर,33 बार अल्हम्दुलिल्लाह, 33 बार सुभान अल्लाह।(अल-काफी 3: 342, नमाज़ और दुआ के बाद अनुवर्ती अध्याय) हे बेटी (pbuh)! मैं तुम्हें कुछ दे रहा हूँ - जो इस दुनिया में और नाम में सब कुछ से बेहतर है।जिसके बाद राजकुमारी ने तीन बार कहा,खुदा की क़सम, मैं ख़ुदा और उसके रसूल (PBUH) से संतुष्ट हूँ,2
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा, शांति उस पर हो, की तस्बीह की उत्कृष्टता इस तथ्य से अच्छी तरह समझी जा सकती है कि हदीसों के अनुसार, पवित्र कुरान के कथन का पालन करने का सबसे अच्छा तरीका है,अल्लाह को अक्सर याद करे (3) फातिमा की तस्बीह का पाठ करना है,उस पर शांति हो। इस संबंध में, इमाम सादिक़ (उसे शांति मिले) कहते हैं,जो कोई सोते समय तस्बीह फातिमा (उस पर शांति हो) पढ़ता है,वह पुरुषों और महिलाओं में गिना जाएगा जो ख़ुदा को बहुत याद करते हैं।(4) यही वजह है कि हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद तस्बीह फ़ातिमा अलैहिस्सलाम पढ़ना सबसे बेहतर अमल है,इसलिए इमाम अलैहिस्सलाम दूसरी जगह फ़रमाते हैं,मुझे ज़्यादा पसन्द है तस्बीह फातिमा का पाठ करना,उस पर शांति हो, प्रत्येक प्रार्थना के बाद, प्रतिदिन एक हजार रकअत की नमाज अदा करना।5
इमाम मुहम्मद बाकिर (शांति उस पर हो) कहते हैं,
 ख़ुदा की स्तुति के लिए फ़ातिमा की स्तुति से बड़ी कोई इबादत नहीं है,और उससे बड़ी कोई इबादत होती तो क्या,तो पैगंबर मकबूल (PBUH) इसे श्री फातिमा ज़हरा को देते थे,शांति उन पर हो। 6इसी तरह, इमाम सादिक (उन्हें शांति मिले) कहते हैं:
जो कोई तस्बीह फातिमा पढ़ता है,उस पर शांति हो,अनिवार्य प्रार्थना के बाद,इससे पहले कि वह अपने बाएं पैर से अपना दाहिना पैर उठाए,अल्लाह सर्वशक्तिमान उसके पापों को क्षमा कर देगा।7
इस तस्बीह की श्रेष्ठता के बारे में, पवित्र पैगंबर अली (उसे शांति मिले) कहते हैं,सुभान अल्लाह कहना कर्मों के आधे पैमाने को भरता है,अल्हम्दुलिल्लाह कहने से पूरे कर्मों का पैमाना भर जाता है और अल्लाहु अकबर कहना जमीन और आसमान के बीच है। भाग भरता ह,8
 इमाम मुहम्मद बाकिर (शांति उस पर हो) ने कहा,
 जब कोई तस्बीह फातिमा पढ़कर क्षमा मांगता है, तो उस पर शांति हो।  इसलिए उसे माफ कर दिया गया है। इस तस्बीह में अल्लाह का सौ बार उल्लेख किया गया है,जबकि कर्मों के संतुलन में एक हजार पुरस्कार हैं - यह शैतान को दूर करता है और परम दयालु को प्रसन्न करता है,9
इमाम सादिक (शांति उस पर हो) ने कहा,जब कोई व्यक्ति अनिवार्य नमाज़ के बाद सलाम और तशह्हुद की स्थिति में तस्बीह फातिमा, शांति और आशीर्वाद का पाठ करता है, तो भगवान उसके लिए स्वर्ग अनिवार्य कर देता है।10
आज की सबसे बड़ी समस्या,
समाज में कुप्रथा बढ़ती जा रही है- खासकर माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इस वजह से कि लड़कियों को सही रिश्ते नहीं मिलते,जबकि सबसे अच्छा उपाय है तस्बीह फातिमा, उन पर सलाम हो,ताकि यह तस्बीह लोगों को बुरे भाग्य से बचाता है। बचाता है,इस सम्बन्ध में इमाम सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया,
ऐ अबहारुन! जिस तरह हम अपने बच्चों को नमाज़ औरतालीम सिखाते हैं, उसी तरह हम फ़ातिमा की तस्बीह पढ़ाते हैं - उन पर शांति हो,आप भी इसे अपने लिए अनिवार्य बना लें - क्योंकि अगर तस्बीह हमेशा नहीं पढ़ी जाती है, तो वहाँ खराब परिणाम का खतरा होगा।11 इसी तरह, तस्बीह फातिमा, शांति उस पर हो,का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह तस्बीह एक व्यक्ति को जोर से सुनने की बीमारी से बचाती है।और उसने कहा:,मैं कम सुनता हूं।(आपको तस्बीह फातिमा पढ़ना चाहिए)। इस शख्स का बयान है कि मैंने कुछ देर तस्बीह फातिमा (अ.स.) पढ़ी और जोर से सुनने की शिकायत दूर हो गई। हदीसों के अनुसार, तस्बीह फातिमा, शांति उस पर हो, के लिए यह बेहतर है कि धूल उपचार के बीज से बनी हो, क्योंकि केवल ऐसी तस्बीह में यह विशेषता है,कि यदि कोई व्यक्ति इसे अपने हाथ में रखता है और इसे पढ़ भी नहीं रहा है,इस संबंध में, इमाम अल-ज़माना (उसे शांति मिले) कहते हैं,जो कोई भी अपने हाथ में इमाम हुसैन (उस पर शांति हो) की धूल से बनी तस्बीह रखता है, भले ही वह उसका उल्लेख करना भूल जाए, फिर भी वह इनाम पाओ।
इसी तरह, इमाम सादिक (उन्हें शांति मिले) ने कहा:
तरबत इमाम हुसैन (अ.स.) का ज़िक्र करना या मिट्टी से बनी तस्बीह के लिए एक बार माफ़ी माँगना 70 बार ज़िक्र करने और दूसरी सामग्री से बनी तस्बीह के लिए माफ़ी मांगने के बराबर है।13,अंत में, हम भगवान से प्रार्थना करते हैं:
वह भगवान, हमें अहल अल-बैत (उन्हें शांति मिले) का ज्ञान प्रदान करें,और इन पवित्र प्राणियों के नक्शेकदम पर चलें और हमें इस दुनिया और आख़िरत की खुशियों के साथ-साथ रहने का अवसर दें,और हे पवित्र भगवान,इस लेखन को मेरे लिए मोक्ष का गारंटर बनाएं (आमीन  सैम आमीन) विश्वासियों और विश्वास करने वाले भाइयों और बहनों से अपील है कि वे अपनी प्रार्थनाओं में याद रखें,पवित्र प्रभु इस महिमा के दान में हम सभी पर अपनी कृपा और दया की वर्षा करें 
संदर्भ विवरण: 1.कशफ अल-अली2. मिन ले हाज़रा अल-फकीह, पृष्ठ 211,3. सूरह अहज़ाब: 41,4. सफीना अल-बहार, खंड 1, पृष्ठ 593,5. फरौ काफ़ी, सलात की किताब पृष्ठ 343,6. अल-वुसल अल-शिया, खंड 2, पृष्ठ 1024,7. अल-अहकाम खंड 2 की सभ्यता, पृष्ठ 105,8.उसूल काफ़ी खंड 2 पृष्ठ 506,9. अल-वुसल अल-शिया, खंड 4, पृष्ठ 1023,10. फलाह अल-सकील पृष्ठ 165,11. फ़ारू काफ़ी, किताब अल-सलवा, पृष्ठ 343,12. अल-वुसल अल-शिया, खंड 4, पृष्ठ,1033,13. इसके अलावा
इमाम जाफर सादिक (शांति उस पर हो) ने कहा:
फातिमा अल-ज़हरा की सुबह की महिमा से, सलात अल-फ़रीज़ा के दूसरे चरण से पहले, भगवान उसे क्षमा कर सकते हैं और तकबीर के साथ शुरू कर सकते हैं।
फ़र्ज़ नमाज़ ख़त्म करने के बाद पांव हिलाने से पहले (यानी एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ बदलते हुए) हज़रत फ़ातिमा ज़हरा अलैहिस्सलाम की तस्बीह पढ़िए।  तो अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देगा।  पहला धिक्कार, जिसके साथ स्तुति शुरू होती है।
 वह अल्लाहु अकबर है।  !!

 संदर्भ :
 📚 कशफ अल-गम्हा वॉल्यूम 1 पेज 471।
 📚 कॉफी वॉल्यूम 3 पेज 342।
 📚 कार्यों के पुरस्कार पृष्ठ 164।
 📚कानूनों की सभ्यता खंड 2 पृष्ठ 105।

 लेआउट और प्रस्तुति:
 सैयद फकीर हुसैन रिजवी -

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह_अली_ख़ामेनई_सा का रमज़ान के सिलसिले से बयान

ईरान के सुप्रीम लीडर




#आयतुल्लाह_अली_ख़ामेनई_सा0 ने सरकारी टीवी चैनल के माध्यम से ख़िताब करते हुए कहा कि "#रमज़ान क़रीब है लेकिन #CoronaVirus से जंग अभी बाक़ी है, इसके लिए हमें अपने घरों में रहते हुए अहकामे शरिया अंजाम देने होंगे और रमज़ान के दौरान होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन मुल्तवी(स्थगित) करना होगा जिससे सामाजिक दूरी भी बरक़रार रहे।

इसके साथ ही साथ अपने-अपने पड़ोसियों का भी विशेष ख़्याल रखना है, वो चाहे जिस धर्म या जाति से तअल्लुक़ रखते हों, ये वक़्त अपने को सच्चे मुसलमान और अच्छे इंसान साबित करने का है।"

व्यापार मंडल प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्र भान सिंह इंदु ने की ज़रूरत मंदो की मदद


व्यापार मंडल प्रदेश उपाध्यक्ष
इंद्र भान सिंह इंदु ने  की ज़रूरत मंदो की मदद

उद्योग व्यापार मंडल प्रदेश उपाध्यक्ष जिनको लोग बाला साहब भी करते हैं उन्होंने इस महामारी से लड़ने के लिए जिला अधिकारी को अपना व्यक्तिगत सहयोग दिया और यह भी आश्वस्त कराया कि हमारे लोग लगातार ज्यादा से ज्यादा असहाय जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे है।
मै बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं की आप हम लोगों के संरक्षक एवं अभिभावक है
 इस कार्य की सराहना करते हुए मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं ।

चाचा जी मैं क्षमा प्रार्थी हूं ।

आपने इस महादान को प्रचार प्रसार करने से मना किया था लेकिन यह लगाना मजबूरी है क्योंकि इस जिले में आप इतना बड़ा काम करके किसी को बताना भी नहीं चाहते कुछ लोग एक पुडी देकर 40 लोगों के साथ 400 फोटो खींच आते हैं ।

समाजसेवी हसन जाहिद खान ने बाटा लंच पैकेट*

*समाजसेवी हसन जाहिद खान ने बाटा लंच पैकेट*

जौनपुर =लॉक डाउन  के बीच प्रदेश के प्रायः सभी  जिलों में गरीबों व असहायों  की सहायता  करने का सिलसिला  जारी है।समाजसेवी संगठन, राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग , सरकारी कर्मचारी लगातार उनकी  कार्य में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में नगर के  मुफ्ती मोहल्लाह निवासी हसन जाहिद खान (बाबू ) ने रविवार को 500 से ज्यादा  गरीब, मजदूर, असहाय और अन्य  जरूरतमंदों को  लंच पैकेट उपलब्ध कराया गया
इस अवसर पर हसन जाहिद खान (बाबू ) ने कहा कि इस आपदा की घड़ी में हमें जरूरतमंदों को हर संभव मदद करनी चाहिए । हमारा यह लगातार प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए।  उन्होंने यह कहा कि खाना पहुंचाने का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील किया कि बेवजह अपने घरों से बाहर ना निकले। जब तक लाक डाउन चलता है तब तक उनकी हर जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा

कोरोना वाइरस के ख़िलाफ़ ईरान का सराहनीय काम

खुशखबरी —  3 हफ्ते पहले तक जो ईरान कोराना जैसी मुसीबत से जूझता नजर आ रहा था, उसी ईरान ने ब-फजले ख़ुदा लाखो टन की तादाद में किटाणुनाशक दवाएं और 40 लाख की तादाद में मुख्तलिफ किस्म के मास्क बना कर आज एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है और ना सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि 2 लाख से ज़्यादा मास्क चीन की मदद के लिए भी भेज दिए हैं।






भारत के वैज्ञानिकों ने की कोरोना वायरस की पहचान, तस्वीर जारी


भारत के वैज्ञानिकों ने पहली बार सार्स-सीओवी-2 वायरस (कोविड-19) की सूक्ष्मतम (माइक्रोस्कॉपी) तस्वीर पर से परदा उठाने में कामयाबी हासिल की है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला के जरिए भारत के पहले पुष्ट कोरोना वायरस (कोविड-19) मामला जो कि 30 जनवरी को केरल में मिले थे, से इसे निकालने में सफलता पाई है। आईजेएमआर के लेटेस्ट एडिशन में इसे विस्तार से प्रकाशित किया गया है।
वहीं, देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस 'कोविड-19' संक्रमण के 75 नए मामले सामने आए हैं और चार मरीजों की मौत हुई हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप देश के 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैल चुका है। कोरोना वायरस के संक्रमण से देश भर में अब तक 17 लोगों की मौत हुई है। केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अभी तक सबसे अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

कोरोना महामारी से महाराष्ट्र में चार, गुजरात में तीन, कनार्टक में दो, दिल्ली, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में एक-एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। देशभर में कोविड-19 संक्रमण के कुल 724 मामले सामने आए हैं। देशभर में कोविड-19 संक्रमण के अब तक कुल 724 मामले सामने आए हैं।

Big Breaking News : जौनपुर में कोरोना का मरीज, अनिश्चितकाल के लिए जौनपुर लॉकडाउन

Big Breaking News : जौनपुर में कोरोना का मरीज, अनिश्चितकाल के लिए जौनपुर लॉकडाउन



जौनपुर, डीएम दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि जनपद में एक कोरोनावायरस पॉजीटिव केस पाया गया है इसको दृष्टिगत रखते हुए शासन के निर्देश प्राप्त हुए हैं कि जनपद जौनपुर को भी लाकडाउन किया जाए। अतः जनपद जौनपुर को भी तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेश तक लाकडाउन किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक से अनुरोध है कृपया इसका पालन पालन कराने का कष्ट करें साथ ही साथ बॉर्डर पर भी फोर्स की तैनाती कर दी जनपद की सीमाओं को भी सील कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट के थानाध्यक्ष क्षेत्राधिकारीगण आदेश का पालन कराये।
जिले में पहला कोरोना मरीज पाए जाने से जिले में हड़कम्प मच गया। ​उक्त मरीज का नाम मो. असहद 30 वर्ष बताया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट 23 मार्च यानि आज ही मिली है। उसकी जांच दो दिन पूर्व करायी गयी 

वरिष्ठ ईरानी शिया धर्मगुरु अयातुल्ला हाशिम बथहई का इंतेक़ाल

 वरिष्ठ ईरानी शिया धर्मगुरु अयातुल्ला हाशिम  बाथेई गोलपेईगान के साबिक़ इमामे जुमा का कूम के एक अस्पताल में # कोरोनावायरस से निधन हो गया है। वह विशेषज्ञों की विधानसभा के एक निर्वाचित सदस्य थे, एक निकाय को देश का नेता चुनने और उनके प्रदर्शन की देखरेख करने का काम सौंपा गया था

चीन के ख़िलाफ़ अमरीकी जैविक युद्ध, तीसरे विश्व युद्ध की आहट, ईरान और इटली को भी दी गई इस बात की






कोरोनो वायरस के घटनाक्रमों पर अगर नज़र डाली जाए तो अमरीका और चीन के बीच हालिया शाब्दिक युद्ध पर कोई ख़ास हैरानी नहीं होगी।
हम चानी अधिकारियों से जो सुन रहे हैं, वहीं सबकुछ सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। हालांकि चीन में सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रतिबंध हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा लगता है कि लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे भी उसी तरह के सवाल पूछें, जैसा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि चीन में कोरोना वायरस पहुंचाने का काम अमरीकी सेना ने किया है।
अमरीका में नेश्नल सिक्योरिटी काउंसिल ने व्हाइट हाउस के सीधे आदेशों के तहत इस विषय पर शीर्ष आपातकालीन बैठक की और उसे बहुत ही ख़ुफ़िया रखा गया। इस बैठक में ट्रम्प प्रशासन के गिने-चुने वरिष्ठ नेताओं को ही भाग लेने दिया गया, यहां तक कि इस बैठक में वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी भाग नहीं लिया, जबकि उन्हें वहां होना चाहिए था।
इसलिए इन दो तथ्यों को एक साथ रखकर देखने की ज़रूरत है। पहला यह कि चीनी सोशल मीडिया पर एक महीने पहले से ही अफ़वाहों का जो बाज़ार गर्म था, अब वह अधिकारियें की ज़बान पर आ गया है कि कोरोना वायरस की महामारी वास्तव में अमरीकी बायोलौजिकल वार या जैविक युद्ध है।
आधिकारिक रूप से चीन की सरकार का यह रुख़ कोई मामूली बात नहीं है, बल्कि यह काफ़ी चिंता का विषय है। इसलिए कि अगर वास्तव में अमरीकी सरकार या उसके सहयोगियों या नियंत्रण से बाहर उसकी दुष्ट एजेंसियों ने जानबूझकर ऐसा किया है कि जिसकी सबसे अधिक संभावना है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिलसिला तीसरे विश्व युद्ध पर जाकर ही ख़त्म होगा।
इस वजह से यूएस-चाइना व्यापार पहले ही बंद हो चुका है और अमरीकी और चीनी अर्थव्यवस्थाओं को अलग अलग किया जा रहा है, जो कि चीन पर अमरीकी साम्राज्यवादी हमले के लिए ज़रूरी है, ताकि चीन को विश्व की नंबर वन शक्ति का दर्जा हासिल करने से रोका जा सके।
यह भी एक सच्चाई है कि इटली में चीनी बंदरगाहों को भी स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है और इटली को चीन के ड्रीम प्रोजैक्ट बेल्ट एंड रोड का हिस्सा बनने के लिए दंडित किया गया है।
उससे भी बड़ी सच्चाई यह है कि ईरान को स्पष्ट रूप से उसके शीर्ष नेताओं सहित निशाना बनाया गया है। यह सब जैविक युद्ध की संभावना को बल देता है।
ईरान की इस्लामी क्रांति सेना आईआरजीसी के प्रमुख और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी पहले ही कोरोना वायरस के अमरीकी जैविक हमले का हिस्सा होने की आशंका जता चुके हैं।
यह तथ्य कि ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी बैठकों को बहुत ही ख़ुफ़िया रखा है, जिसके कारण कोरोना वायरस को लेकर अमरीका की आधिकारिक स्थिति में पारदर्शिता की बहुत कमी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसी पारदर्शिता पर बहुत ज़्यादा बल दिया है। msm (अमरीकी लेखक केविन बैरेट

एमक्यू -4 अमेरिकी ड्रोन प्रौद्योगिकी का पता लगाता है, यह ईरान के खिलाफ अब उपयोगी नहीं है: जनरल हाजी ज़ादा


एमक्यू -4 अमेरिकी ड्रोन प्रौद्योगिकी का पता लगाता है, यह ईरान के खिलाफ अब उपयोगी नहीं है: जनरल हाजी ज़ादा
शुक्रियाMQ-4यूएस ड्रोन विमान के शेष मलबे के समारोह को संबोधित करते हुए, ईरान के इस्लामिक गणराज्य के एयरोस्पेस फोर्सेज के कमांडर अमीर अली हाजी ज़ादा ने कहा, जून 2019 में ईरान द्वारा की गई प्रगति और महंगा।क्षमता है,जबकि इसकी उच्चतम ऊंचाई पर उड़ान किसी भी एयरलाइन को बाधित नहीं करती है, उदाहरण के लिए,यह संयुक्त राज्य से सीधे फारस की खाड़ी में उड़ सकती है। वे बताते हैं कि चूंकि यह ड्रोन इतना बड़ा है, इसलिए इसमें हर तरह के स्पाई सिस्टम लगाए गए हैं।जनरल हाजी ज़ादा ने कहा कि ड्रोन अत्यधिक उन्नत सुपर कंप्यूटरों के माध्यम से विभिन्न सेंसर,कैमरा,एसएआररडार और सूचना-एकत्रित इलेक्ट्रॉनिक सेंसर से जानकारी का विश्लेषण और विश्लेषण करना उपयोगी बनाता है।
ईरानी सोल्जर्स एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर जनरल अमीर अली हाजी ज़ादा ने एमक्यू -4 यूएस ड्रोन की अत्यधिक महंगी और उन्नत तकनीक का जिक्र करते हुए अमेरिकी ड्रोन कहा,जो अब पूरी तरह से ईरानी इंजीनियरों के नियंत्रण में है।विमान बेहद मूल्यवान है, लेकिन अब अमेरिकी बलों द्वारा एक लाल घेरा खींचा जाना चाहिए, क्योंकि यह अब ईरान के खिलाफ उपयोगी नहीं है, क्योंकि ईरान कोड, पासवर्ड और आवृत्तियों सहित अपनी सभी प्रौद्योगिकी के साथ परिचितता प्राप्त करता है। है।उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरानी सेना अब इस उन्नत और अत्यधिक मूल्यवान अमेरिकी ड्रोन को न केवल 50, 100 या 150 किलोमीटर दूर, बल्कि तेहरान में भी कई हजार किलोमीटर की दूरी पर निरस्त्र कर सकती है।




सोल्जर्स एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर ने कहा कि वर्तमान में इस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका के पास ईरान से एक छोटा गोला-बारूद है, क्योंकि अब इस ड्रोन विमान से संबंधित सभी अमेरिकी प्रौद्योगिकी ईरान के खिलाफ विफल हो गई हैं।इस अत्यधिक उन्नत अमेरिकी ड्रोन का प्रत्येक घटक एक खजाने की तरह मूल्यवान है, जो हमें अमेरिकी प्रौद्योगिकियों के बारे में बहुत सारी जानकारी देता है,उन्होंने कहा।एईन अल-असद में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ईरानी प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए जनरल हाजी ज़ादा ने कहा कि कई ऐसे विषय हैं जिन पर अभी तक चर्चा नहीं हुई है, जिसके लिए एक अलग बैठक की आवश्यकता है, ताकि हमारे प्यारे लोग इस ऑपरेशन के बारे में अधिक जान सकें,जो कि संभावना है, हालांकि, यह है कि अमेरिकियों को घोषित करना जारी रहेगा, एक समय के लिए, उनके कुछ और सैन्य हताहत। ) के शिकार

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