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यूएन मुख्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा काहुआ अनावरण

यूएन मुख्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का

हुआ अनावरण




विदेश मंत्री एस. जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने बुधवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित यूएन के मुख्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। गांधी की इस प्रतिमा को पद्म भूषण से सम्मानित प्रसिद्ध शिल्पकार राम वी. सुतार ने डिज़ाइन की है। गौरतलब है, यूएन मुख्यालय में यह महात्मा गांधी की पहली प्रतिमा है।







इसके साथ ही महात्मा गांधी का संयुक्त राष्ट्र में पदार्पण हो गया है. गौरतलब है कि दिसंबर के महीने में भारत 15 सदस्यीय शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है. इस अवसर पर महासभा के 77 वें सत्र के अध्यक्ष कसाबा कोरोर. भी मौजूद थे.






न्यूयॉर्क स्थित यूएन के मुख्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। गांधी की इस प्रतिमा को पद्म भूषण से सम्मानित प्रसिद्ध शिल्पकार राम वी. सुतार ने डिज़ाइन की है। गौरतलब है, यूएन मुख्यालय में यह महात्मा गांधी की पहली प्रतिमा है।

Big Breaking News : जौनपुर में कोरोना का मरीज, अनिश्चितकाल के लिए जौनपुर लॉकडाउन

Big Breaking News : जौनपुर में कोरोना का मरीज, अनिश्चितकाल के लिए जौनपुर लॉकडाउन



जौनपुर, डीएम दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि जनपद में एक कोरोनावायरस पॉजीटिव केस पाया गया है इसको दृष्टिगत रखते हुए शासन के निर्देश प्राप्त हुए हैं कि जनपद जौनपुर को भी लाकडाउन किया जाए। अतः जनपद जौनपुर को भी तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेश तक लाकडाउन किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक से अनुरोध है कृपया इसका पालन पालन कराने का कष्ट करें साथ ही साथ बॉर्डर पर भी फोर्स की तैनाती कर दी जनपद की सीमाओं को भी सील कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट के थानाध्यक्ष क्षेत्राधिकारीगण आदेश का पालन कराये।
जिले में पहला कोरोना मरीज पाए जाने से जिले में हड़कम्प मच गया। ​उक्त मरीज का नाम मो. असहद 30 वर्ष बताया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट 23 मार्च यानि आज ही मिली है। उसकी जांच दो दिन पूर्व करायी गयी 

यूरोपीय संघ / 150 सांसद नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए, भारत ने कहा- यह हमारा आंतरिक मामला

यूरोपीय संघ / 150 सांसद नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए, भारत ने कहा- यह हमारा आंतरिक मामला






  • यूरोपीय संघ के सांसदों ने सीएए के खिलाफ 5 पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया, धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया
  • सांसदों ने कहा कि नया कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन करता है

लंदन. यूरोपियन पार्लियामेंट (यूरोपीय संसद) के 150 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तैयार प्रस्ताव किया है। इसमें कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है। इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानि बिना नागरिकता के हो जाएंगे। उनका कोई देश नहीं रह जाएगा। सांसदों की तरफ से तैयार पांच पन्नों के प्रस्ताव कहा गया कि इसे लागू करना दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है। इस पर भारत ने कहा कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है।
सीएए संबंधीप्रस्ताव पर बहस होने से पहले सरकार के सूत्रों ने कहा है कियूरोपीय संसदको लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए सांसदों के अधिकारों पर सवाल खड़े करने वाली कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इधर, भारत आए यूरोपीय संघ के सदस्यों ने कहा- यूरोपीय संसद एक स्वतंत्र संस्था है। काम और बहस के मामले में इसे स्वायत्तता हासिल है। सीएए पर प्रस्ताव का मसौदा संसद के राजनीतिक समूहों ने तैयार किया है।
‘नागरिकता कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ’
सांसदों ने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि भारत सरकार द्वारा लाया गया यह कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। यह कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है। ऐसा करना मानवाधिकार और राजनीतिक संधियों की भी अवमानना है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का भी उल्लंघन बताया गया, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बुधवार को बहस होगी। इसके एक दिन बाद वोटिंग की जाएगी।

सांसदों का आरोप- भारत सरकार ने विरोध में उठी आवाज दबाई
यूरोपीय सांसदों के इस प्रस्ताव में भारत सरकार पर भेदभाव, उत्पीड़न और विरोध में उठी आवाजों को चुप कराने का आरोप लगाया गया है। वहीं, इसमें कहा गया कि नए कानून से भारत में मुस्लिमों की नागरिकता छीनने का कानूनी आधार तैयार हो जाएगा। साथ ही, नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर सीएए कई मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित कर सकता है। सांसदों ने यूरोपीय संघ से इस मामले में दखल देने की मांग भी की।

जनरल क़ासिम सुलैमानी कीशहादत के चार अहम परिणाम


  • जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के चार अहम परिणाम
अमरीका की आतंकवादी सरकार द्वारा आईआरजीसी के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के कुछ अहम और तुरंत परिणाम सामने आए हैं।
  1. शहीद लेफ़्टिनेंट जनरल क़ासिम सुलैमानी और उनके साथियों की आतंकवादी कार्यवाही में हत्या का सबसे पहला परिणाम संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की फ़ज़ीहत और उसकी हैसियत ख़त्म होना है। राष्ट्र संघ के घोषणापत्र की धारा 24 के पहले ही अनुच्छेद के अनुसार विश्व की शांति व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सुरक्षा परिषद पर है। अमरीकी सरकार ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या की है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाख़ारोवा ने कहा है कि अमरीका की यह कार्यवाही, ताक़त के ग़ैर क़ानूनी इस्तेमाल को स्पष्ट करती है। सुरक्षा परिषद ने, जो छोटे से छोटे मामले पर भी बैठक करती है, अमरीका की आतंकी सरकार के इस अपराध पर, कोई भी क़दम नहीं उठाया है जिससे उसकी साख पर बट्टा लग गया है।
  2. अमरीकी सरकार की इस आपराधिक कार्यवाही का एक और अहम परिणाम, आतंकी गुट दाइश को मौक़ा देना है। जनरल सुलैमानी, इस आतंकी गुट से संघर्ष में सबसे आगे थे और सीरिया व इराक़ में इस गुट की पराजय में उन्होंने सबसे अहम रोल निभाया था। दाइश के समाचारपत्र अन्नबा ने अपने संपादकीय में अमरीका की इस आतंकवादी कार्यवाही पर ख़ुशी जताई है।
  3. जनरल सुलैमानी की हत्या का एक और अहम परिणाम, अमरीका की साख को भारी नुक़सान पहुंचना है। एक ओर दुनिया पर राज करने का दावा करने वाली अमरीकी सरकार ने एक आतंकी कार्यवाही की और उसे औपचारिक रूप से स्वीकार भी किया जबकि दूसरी ओर ईरान ने इराक़ में स्थित अमरीका के अहम एयर बेस ऐनुल असद पर मीज़ाइलों की बारिश करके आतंकी अमरीकी सरकार के अपराध का कड़ा जवाब दिया। इन दोनों घटनाओं से क्षेत्रीय स्तर पर भी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अमरीका की साख पर बट्टा लगा है। फ़िलिस्तीनी टीकाकार वासिफ़ अरीक़ात का कहना है कि अमरीकी छावनी पर ईरान का मीज़ाइल हमला बड़ा मूल्यवान था क्योंकि ठीक उसी स्थान को निशाना बनाया गया जहां से उड़ने वाले ड्रोन ने जनरल सुलैमानी की हत्या की थी। ऐनुल असद एयरबेस, क्षेत्रफल के हिसाब से अमरीका का दूसरा बड़ा एयरबेस है और इसमें 5000 अमरीकी सैनिक रह सकते हैं। यह एयरबेस अत्यंत विकसित रडारों व सुरक्षा उपकरणों से लैस है लेकिन ये रडार ईरानी मीज़ाइलों का पता न लगा सके। यह अमरीका के लिए दूसरा कड़ा झटका है जो अपने एयर डिफ़ेंस और रडार सिस्टम पर घमंड करता है। इस वार के बाद क्षेत्र में अमरीका की हैसियत ख़त्म हो गई है और यह चीज़ अमरीकी सैनिकों के मारे जाने से भी ज़्यादा अहम है। अमरीका, ख़ुद को पहुंचने वाले नुक़सान को खुल कर नहीं मानेगा लेकिन ऐनुल असद एयरबेस के डिफ़ेंस सिस्टम, ड्रोन और अन्य अहम प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुंचा है।
  4. जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या का चौथा अहम परिणाम, ईरान की प्रतिरोधक शक्ति का सिद्ध होना और क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे का कमज़ोर पड़ना है। ईरान के एक टीकाकार सैयद जलाल दहक़ानी कहते हैं कि जनरल सुलैमानी की हत्या ने क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे को कमज़ोर बना दिया है और क्षेत्र से अमरीका के निकलने का रास्ता खोल दिया है क्योंकि अमरीका के अंदर से ट्रम्प पर इराक़ व सीरिया से बाहर निकलने के लिए भारी दबाव है। उन्होंने अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव के अभियानों में भी इस बात का वादा किया था कि वे मध्यपूर्व से अमरीकी सेना को वापस बुलाएंगे। (HN

राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का जवाब

  • राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का जवाब
वरिष्ठ नेता ने ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव की ओर से हालिया अशांति के प्रभावितों के बारे में पेश की गई रिपोर्ट के संबन्ध में कुछ प्रस्ताव पेश किये हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव अली शमख़ानी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट के जवाब में कहा है कि काम को तेज़ी अंजाम दिया जाए और संदिग्ध लोगों के साथ, चाहे वे किसी भी गुट के हों, इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप व्यवहार किया जाए।
यह वह रिपोर्ट है जिसे देश में हालिया अशांति के बाद वरिष्ठ नेता की ओर से जारी आदेश के बाद तैयार किया गया है जिसमें इस अशांति में लिप्त तत्वों की जानकारी और अशांति के कारणों को पहचानने की बात कही गई थी साथ ही इन घटनाओं में अपनी जान देने वालों और उनके परिवार वालों के बारे में भी आदेश दिया गया था।
इस रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि क़ानून के परिप्रेक्ष्य में वे आम नागरिक, जिनका हालिया अशांति में कोई हाथ नहीं था और जो झड़पों में मारे गए उनको शहीद माना जाए और उनके परिजनों को शहीद फाउन्डेशन के अन्तर्गत लाया जाए।  इसी प्रकार यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि वे निर्दोष लोग जो अशांति के दौरान मारे गए उनको मोआवेज़ा दिया जाए।  इसी के साथ वे लोग जो सुरक्षा बलों के साथ सशस्त्र संघर्ष में मारे गए हैं उसकी जांच-पड़ताल के बाद  उनके परिवार के सदस्यों को उनके अपराध से अलग समझा जाए।  इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने उन लोगों के बारे में, जो संदिग्ध पाए गए हैं, कहा है कि उनके परिवार वालों के साथ इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप ही व्यवहार किया जाए।
ज्ञात रहे कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के आदेश के दृष्टिगत हालिया अशांति के दौरान मारे जाने वालों और घायलों के बारे में प्रांतों के स्तर पर कार्यवाही और जांच आरंभ हो चुकी है।

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